मुंबई, चार अप्रैल (भाषा) कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने शुक्रवार को कहा कि उपमुख्यमंत्री अजित पवार का वक्फ (संशोधन) विधेयक का समर्थन करना सत्ता के प्रति उनकी लाचारी और राजनीतिक पाखंड को दर्शाता है।
सपकाल ने कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक मुस्लिम समुदाय को डराने और हजारों एकड़ जमीन हड़पने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की चाल है।
संसद के दोनों सदनों में लंबी बहस के बाद लोकसभा ने बृहस्पतिवार को तथा राज्यसभा ने बृहस्पतिवार देर रात को वक्फ (संशोधन) विधेयक को पारित कर दिया।
राज्यसभा में 128 सदस्यों ने विधेयक के पक्ष में जबकि 95 ने विरोध में मतदान किया, जिसके बाद इसे पारित कर दिया गया। लोकसभा ने तीन अप्रैल को विधेयक को मंजूरी दे दी थी। लोकसभा में 288 सदस्यों ने विधेयक का समर्थन, जबकि 232 ने विरोध किया।
इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों (मुसलमानों द्वारा धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए स्थायी रूप से दान की गई संपत्ति) के प्रबंधन को सुव्यवस्थित करना है, जिसमें विरासत स्थलों की सुरक्षा और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने के प्रावधान शामिल हैं।
अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने संसद में विधेयक का समर्थन किया।
सपकाल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अजित पवार का वक्फ (संशोधन) विधेयक का समर्थन करना सत्ता के प्रति उनकी लाचारी का संकेत है। उनका धर्मनिरपेक्ष मुखौटा उजागर हो चुका है और उन्होंने मुस्लिम समुदाय के साथ विश्वासघात किया है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के साथ गठबंधन कर सरकार में शामिल होने के बाद अजित पवार और उनकी राकांपा ने दावा किया था कि उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा फुले और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की विरासत को नहीं छोड़ा है, लेकिन अब उनका असली चेहरा सामने आ चुका है।
सपकाल ने उपमुख्यमंत्री पवार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा नीत सरकार के वक्फ विधेयक का समर्थन करके अजित पवार ने सत्ता के लिए पूरी तरह भाजपा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘अजित पवार लगातार दावा कर रहे हैं कि महायुति सरकार में उनकी भागीदारी विकास के लिए है और उन्होंने प्रगतिशील आदर्शों को नहीं छोड़ा है, लेकिन उनके काम कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं।’’
सपकाल ने कहा कि यह विधेयक भाजपा सरकार द्वारा मुस्लिम समुदाय को डराने और हजारों एकड़ जमीन हड़पने की एक चाल के अलावा और कुछ नहीं है।
भाषा
प्रीति देवेंद्र
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