ठाणे, पांच सितंबर (भाषा) ठाणे की एक विशेष अदालत ने 18 साल पुराने रिश्वतखोरी के एक मामले में अभियोजन पक्ष द्वारा सबूत पेश करने में विफल रहने पर रेलवे के एक पूर्व ‘पॉइंट्समैन’ को बरी कर दिया।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के विशेष न्यायाधीश डी.एस. देशमुख ने दो सितंबर को एक आदेश में शिवाजी श्रीपत मशाल के खिलाफ सभी आरोप खारिज कर दिए।
आदेश की एक प्रति शुक्रवार को उपलब्ध कराई गई।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, कल्याण स्टेशन के तत्कालीन स्टेशन मास्टर ओमप्रकाश तिपन्ना निन्ने ने एक बूट पॉलिश ठेकेदार से 1,000 रुपये मासिक रिश्वत की मांग की थी।
ठेकेदार द्वारा शिकायत किए जाने के बाद सीबीआई ने जाल बिछाया और दो मार्च, 2007 को निन्ने की ओर से मशाल को कथित तौर पर रिश्वत लेते हुए पकड़ लिया।
अदालत ने कहा कि निन्ने के कार्यालय में उस दिन नियमित चपरासी के गैरहाजिर रहने के कारण ‘पॉइंट्समैन’ के रूप में तैनात मशाल के खिलाफ रिश्वत की मांग और इसे स्वीकार करने का मामला साबित नहीं हुआ। मुकदमे के दौरान शिकायतकर्ता और निन्ने दोनों का निधन हो गया।
अदालत ने अभियोजन पक्ष के दो गवाहों की गवाही सुनी लेकिन पाया गया कि उनके बयान अभियोजन पक्ष के मामले को आगे नहीं बढ़ाते।
न्यायाधीश देशमुख ने कहा कि सीबीआई ने स्वयं गंभीर मुद्दों का हवाला देते हुए मामला वापस लेने के लिए अर्जी दायर की थी।
अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता और मुख्य आरोपी की मृत्यु हो चुकी है जबकि शिकायत या सीबीआई की प्राथमिकी में रिश्वत लेने वाले के रूप में मशाल का कोई उल्लेख नहीं है।
न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा है कि मशाल ने अब दिवंगत स्टेशन मास्टर की ओर से 1,000 रुपये की रिश्वत स्वीकार की थी।
भाषा जितेंद्र पवनेश
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