सीबीआई ने देशमुख, उनके पूर्व सहयोगी की वैधानिक जमानत के लिए दायर अर्जियों का विरोध किया

सीबीआई ने देशमुख, उनके पूर्व सहयोगी की वैधानिक जमानत के लिए दायर अर्जियों का विरोध किया

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  • Publish Date - June 13, 2022 / 09:34 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:12 PM IST

मुंबई, 13 जून (भाषा) केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सोमवार को यहां एक विशेष अदालत के समक्ष कहा कि उसने भ्रष्टाचार के एक मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख और उनके पूर्व सहयोगियों के खिलाफ 60 दिनों की अनिवार्य समयसीमा के भीतर आरोपपत्र दायर कर दिया है। एजेंसी ने साथ ही उनकी वैधानिक जमानत के अनुरोध वाली अर्जियों का विरोध किया।

केंद्रीय एजेंसी ने देशमुख और उनके पूर्व सहयोगी और सह-आरोपी संजीव पलांडे की याचिकाओं का विरोध करते हुए अदालत में एक हलफनामा दायर किया, जिसमें इस आधार पर जमानत का अनुरोध किया गया था कि सीबीआई ने मामले में ‘‘अपूर्ण’’ आरोपपत्र दायर किया है।

याचिकाओं में दावा किया गया था कि सीबीआई ने आरोपपत्र के साथ प्रासंगिक दस्तावेज जमा नहीं किए थे और उन कागजातों को निर्धारित समयसीमा के बाद अदालत में जमा किया गया था।

आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 173 के अनुसार, किसी भी मामले में आरोपी की गिरफ्तारी के 60 दिनों के भीतर आरोपपत्र दाखिल किया जाना चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया गया तो आरोपी वैधानिक जमानत का अनुरोध कर सकता है।

सीबीआई ने अपने हलफनामे में कहा कि कानून 60 दिनों के भीतर जांच पूरी करना निर्धारित करता है और वर्तमान मामले में एजेंसी द्वारा 2 जून, 2022 को रिपोर्ट (आरोपपत्र) दायर किया गया था, जो 60 दिनों की अवधि के भीतर है।

उसने कहा कि आरोपी व्यक्तियों की यह दलील पूरी तरह से गलत है कि चूंकि आरोपपत्र के साथ दस्तावेज 2 जून, 2022 को अदालत में जमा नहीं किए गए थे, इसलिए इसे पूर्ण आरोपपत्र नहीं कहा जा सकता है।

सीबीआई ने कहा, ‘‘इस तरह की गलत समझ का इस्तेमाल वैधानिक जमानत का लाभ लेने के लिए नहीं किया जा सकता है।’’

हलफनामे में कहा गया है कि अदालत ने जांच अधिकारी को 7 जून को या उससे पहले दस्तावेज जमा करने का निर्देश दिया था और इसलिए आरोपी सीआरपीसी की धारा 167 (2) के तहत लाभ का दावा नहीं कर सकता।

सीबीआई ने पिछले हफ्ते राकांपा नेता देशमुख और उनके दो पूर्व सहयोगियों संजीव पलांडे और कुंदन शिंदे के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग से जुड़े मामले में 59 पन्नों का आरोपपत्र दायर किया था।

मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने पिछले साल मार्च में आरोप लगाया था कि राज्य के तत्कालीन गृह मंत्री देशमुख ने पुलिस अधिकारियों को शहर के रेस्तरां और बार से हर महीने 100 करोड़ रुपये वसूलने का लक्ष्य दिया था।

देशमुख ने आरोपों से इनकार किया, लेकिन बम्बई उच्च न्यायालय द्वारा सीबीआई को उनके खिलाफ मामला दर्ज करने का निर्देश देने के बाद मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जांच किये जा रहे धनशोधन मामले में 72 वर्षीय नेता वर्तमान में न्यायिक हिरासत में जेल में हैं।

भाषा अमित नरेश

नरेश