अनुसंधान एवं विकास के प्रति कटिबद्धता किसी भी देश की प्रगति की रीढ़ है: काकोदकर |

अनुसंधान एवं विकास के प्रति कटिबद्धता किसी भी देश की प्रगति की रीढ़ है: काकोदकर

अनुसंधान एवं विकास के प्रति कटिबद्धता किसी भी देश की प्रगति की रीढ़ है: काकोदकर

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Modified Date: May 12, 2025 / 03:48 PM IST
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Published Date: May 12, 2025 3:48 pm IST

(फाइल फोटो के साथ)

पुणे, 12 मई (भाषा) परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष अनिल काकोदकर ने विश्व के भविष्य को आकार देने में शिक्षा जगत की भूमिका की सराहना करते हुए कहा है कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति की रीढ़ अनुसंधान और विकास को लेकर उसकी प्रतिबद्धता है।

वह हाल में मुम्बई स्थित रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (आईसीटी) में ‘परमाणु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विकास के लिए उद्योग-अकादमी साझेदारी’ विषयक सम्मेलन में अपना विचार रख रहे थे।।

मुंबई स्थित होमी भाभा राष्ट्रीय संस्थान (एचबीएनआई) के कुलाधिपति काकोदकर ने कहा, ‘‘स्वतंत्र और मौलिक विचारों की खोज में अकादमिक समुदाय हमारे देश और विश्व के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब सरकारें दीर्घकालिक नीतियां और लक्ष्य निर्धारित करती हैं तो यह समुदाय उनके लिए एक मार्गदर्शक प्रकाशपुंज के रूप में कार्य करता है।’’

एक विज्ञप्ति के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी राष्ट्र की प्रगति की रीढ़ अनुसंधान और विकास के प्रति उसकी प्रतिबद्धता होती है और मैं परमाणु ऊर्जा में अनुसंधान और विकास को आगे बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान की सराहना करता हूं, क्योंकि परमाणु ऊर्जा भारत की ऊर्जा सुरक्षा और सतत विकास के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र है।’’

विज्ञप्ति में कहा गया है कि आईसीटी ने ऊर्जा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र के शुभारंभ की घोषणा की है, जिसमें ‘स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर)’, ‘माइक्रो मॉड्यूलर रिएक्टर (एमएमआर)’, ‘हाइड्रोजन जेनरेशन एंड एसीलेरेटर टेक्नोलॉजी समेत अगली पीढ़ी की परमाणु प्रौद्योगिकियों पर बल दिया जाएगा।

इस अवसर पर आईसीटी के कुलाधिपति प्रोफेसर जे बी जोशी ने कहा, ‘‘भारत की ऊर्जा सुरक्षा हमारी साहसपूर्वक नवाचार करने और निर्णायक रूप से कार्य करने की क्षमता पर निर्भर करती है। आईसीटी का ऊर्जा विज्ञान और प्रौद्योगिकी केंद्र, आत्मनिर्भरता और निरंतरता के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के साथ अनुसंधान, प्रतिभा और प्रौद्योगिकी का एक प्रकाश स्तंभ होगा।’’

भाषा

राजकुमार सुरेश

सुरेश

 

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