ठाणे (महाराष्ट्र), छह अगस्त (भाषा) ठाणे की एक सत्र अदालत ने नौ साल बाद 52-वर्षीय एक व्यक्ति को ‘रोड रेज’ (सड़क पर मारपीट) की घटना में एक यातायात पुलिस आरक्षी के साथ मारपीट करने का दोषी ठहराया, लेकिन उसके खराब स्वास्थ्य और पारिवारिक जिम्मेदारियों को देखते हुए उसे एक दिन के साधारण कारावास की सजा सुनाई।
अदालत ने अभियुक्त पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
अतिरिक्त सत्र न्यायालय के न्यायाधीश जी टी पवार ने 31 जुलाई को अपने आदेश में कहा कि मुकदमे के दौरान अभियुक्त के आचरण, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं, पारिवारिक जिम्मेदारियों और पुलिसकर्मी को लगी चोट की प्रकृति को देखते हुए उसके साथ नरमी बरती जानी चाहिए।
इस अदालती आदेश की प्रति बुधवार को उपलब्ध हो सकी।
अदालत ने रमेश शिटकर को 18 नवंबर, 2016 को ठाणे के कैडबरी सिग्नल पर यातायात पुलिस आरक्षी दिलीप पवार पर हमला करने के सिलसिले में भारतीय दंड संहिता की धाराओं 353 और 332 के तहत आपराधिक बल का प्रयोग करने और एक लोक सेवक को जानबूझकर चोट पहुंचाने का दोषी ठहराया।
हालांकि, धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमानित करना) के तहत आरोप साबित नहीं हुए।
यह घटना तब हुई जब दिलीप पवार ने एक तेज रफ़्तार कार को रोकने की कोशिश की। शिटकर ने बीच सड़क पर यह कार रोक तो दी, लेकिन उसने पवार को गालियां दीं और उसे कई थप्पड़ मारे।
इस हमले को लेकर रबोडी थाने में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
अदालत ने मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष के सात गवाहों से पूछताछ की।
अदालत ने कहा, ‘‘यह तथ्य अभियोजन पक्ष के गवाहों के साक्ष्य से साबित हो गया है कि शिकायतकर्ता (पुलिसकर्मी) अपना आधिकारिक कर्तव्य निभा रहा था, जबकि अभियुक्त ने उस पर हमला किया।’’
न्यायाधीश ने बचाव पक्ष के इस दावे को खारिज कर दिया कि शिटकर को एक रिक्शा चालक के साथ हुए विवाद के बाद फंसाया गया था, जिसने झगड़ा रोकने की कोशिश की थी।
अदालत ने कहा, ‘‘बचाव पक्ष अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान को झूठा साबित करने के लिए कोई भी सबूत पेश करने में विफल रहा। मौके पर पंचनामा से, कार से कथित टक्कर का कोई सबूत सामने नहीं आया है।’’
बचाव पक्ष की दलीलों को स्वीकार करते हुए न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मुकदमे के दौरान अभियुक्त के आचरण, उसकी बीमारी, जिम्मेदारियों और सूचना देने वाले को हुई चोट की प्रकृति को देखते हुए, मेरा मानना है कि उसके प्रति नरमी बरती जा सकती है।’’
इसके साथ ही अदालत ने उसे एक दिन के साधारण कारावास की सजा सुनाई।
भाषा
राजकुमार सुरेश
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