उच्च न्यायालय ने बंधक बनाने वाले की मौत की सीबीआई जांच संबंधी याचिका पर विचार करने से किया इनकार

उच्च न्यायालय ने बंधक बनाने वाले की मौत की सीबीआई जांच संबंधी याचिका पर विचार करने से किया इनकार

  •  
  • Publish Date - November 11, 2025 / 09:11 PM IST,
    Updated On - November 11, 2025 / 09:11 PM IST

मुंबई, 11 नवंबर (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को रोहित आर्य की कथित ‘फर्जी मुठभेड़’ में मारे जाने की सीबीआई जांच कराने के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई करने में अपनी अनिच्छा व्यक्त की।

आर्या ने मुंबई के एक रिकॉर्डिंग स्टूडियो में 17 बच्चों और दो वयस्कों को बंधक बना लिया था। बचाव अभियान के दौरान उसे गोली मार दी गई थी।

खंडपीठ ने जब यह संकेत दिया कि वह कोई राहत देने के लिए इच्छुक नहीं है तो याचिकाकर्ता (मुंबई की एक महिला वकील) ने याचिका वापस ले ली।

उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता की याचिका को जनहित याचिका में परिवर्तित करने के अनुरोध को भी खारिज कर दिया तथा याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी, लेकिन साथ ही कहा कि यदि वकील चाहें तो वह कानून के अनुसार मजिस्ट्रेट की अदालत में निजी शिकायत दर्ज करा सकती हैं।

शोभा बुद्धिवंत द्वारा अधिवक्ता नितिन सतपुते के माध्यम से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि आर्य की हत्या ‘एक राजनीतिक नेता के इशारे पर आत्मरक्षा और प्रतिशोध के बहाने’ की गई।

याचिका में दावा किया गया है कि महाराष्ट्र शिक्षा विभाग के लिए एक परियोजना पर काम करने वाला आर्य राज्य सरकार द्वारा उसके लंबित बकाए का भुगतान न करने के कारण गंभीर मानसिक तनाव में था।

मंगलवार को जब बंधक बनाने वाले की मौत की जांच के अनुरोध वाली याचिका सुनवाई के लिए आई तो उच्च न्यायालय ने सवाल किया कि याचिकाकर्ता ने निजी शिकायत दर्ज कराने के बजाय सीधे उच्च न्यायालय का दरवाजा क्यों खटखटाया।

सतपुते ने अदालत को बताया कि बुद्धिवंत ने याचिका दायर करने से पहले पुलिस को लिखित शिकायत भेजी थी।

पीठ ने हालांकि कहा कि पुलिस को भेजा गया दस्तावेज एक नोटिस था, शिकायत नहीं।

अदालत ने टिप्पणी की, ‘यह एक नोटिस है, शिकायत नहीं। आपको कानून के अनुसार निजी शिकायत दर्ज करनी होगी। आप कई प्राधिकारियों के पास शिकायत दर्ज नहीं कर सकते; यह विशिष्ट और संबंधित पुलिस थाने में होनी चाहिए।’

सातपुते ने दावा किया कि पुलिस ने शिकायत पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया है और उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि इस याचिका को जनहित याचिका (पीआईएल) में बदल दिया जाए।

पीठ ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि यह मामला जनहित का नहीं है।

आर्य ने 30 अक्टूबर को मुंबई के एक रिकॉर्डिंग स्टूडियो में 17 बच्चों और दो वयस्कों को बंधक बना लिया था। बचाव अभियान के दौरान उसे गोली मार दी गई।

पुलिस कार्रवाई के दौरान आर्य को गोली लग गई। इसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

भाषा

शुभम प्रशांत

प्रशांत