राज्य में कानून का शासन है या बाहुबल का: बंबई उच्च न्यायालय ने पूछा

राज्य में कानून का शासन है या बाहुबल का: बंबई उच्च न्यायालय ने पूछा

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  • Publish Date - April 20, 2025 / 03:58 PM IST,
    Updated On - April 20, 2025 / 03:58 PM IST

मुंबई, 20 अप्रैल (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने नवी मुंबई में एक भूखंड पर अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने पर सरकार की नगर नियोजन एजेंसी सिडको को फटकार लगाते हुए पूछा कि राज्य में कानून का शासन है या बाहुबल का।

न्यायमूर्ति ए. एस. गडकरी और न्यायमूर्ति कमल की खंडपीठ ने इस महीने की शुरुआत में पारित आदेश में कहा कि नगर एवं औद्योगिक विकास निगम (सिडको) के अधिकारी अनधिकृत निर्माण के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के इच्छुक नहीं हैं।

सिडको ने अदालत को बताया कि जब उन्होंने अवैध ढांचों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने की कोशिश की तो बोकाडवीरा गांव के सरपंच ने उन्हें धमकी दी।

इसपर पीठ ने कहा कि अधिकारी अपने वैध कर्तव्यों का निर्वहन करते समय पर्याप्त पुलिस सुरक्षा पाने के हकदार हैं और अवैधताओं को रोकना तथा कानून का शासन स्थापित करना प्राधिकारियों का कर्तव्य है।

उच्च न्यायालय ने कहा, “हम यह समझने में असफल हैं कि क्या हम ऐसे राज्य में रहते हैं जहां कानून का शासन है या बाहुबल का शासन है।”

न्यायालय ने कहा कि बोकाडवीरा गांव के सरपंच द्वारा दी गई धमकियों को लोकतांत्रिक देश में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, क्योंकि सिडको अधिकारी अपने वैध कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं।

अदालत 2016 में एक दंपति द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सिडको को नवी मुंबई में उनकी जमीन पर दीपक पाटिल नामक व्यक्ति द्वारा बनाए गए अनधिकृत ढांचों को ध्वस्त करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

याचिका के अनुसार, याचिकाकर्ताओं के स्वामित्व वाली 123 वर्ग मीटर भूमि पर अवैध संरचनाएं (दुकानें) बनाई गई हैं।

अदालत ने सिडको को एक सप्ताह में याचिकाकर्ताओं की भूमि पर किए गए अनधिकृत निर्माण को हटाने के लिए सभी आवश्यक कानूनी कदम उठाने का निर्देश दिया।

भाषा जोहेब रंजन

रंजन