गेटवे ऑफ इंडिया के पास जेट्टी परियोजना स्थानीय लोगों के विरोध के कारण अटकी |

गेटवे ऑफ इंडिया के पास जेट्टी परियोजना स्थानीय लोगों के विरोध के कारण अटकी

गेटवे ऑफ इंडिया के पास जेट्टी परियोजना स्थानीय लोगों के विरोध के कारण अटकी

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Modified Date: April 20, 2025 / 10:55 AM IST
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Published Date: April 20, 2025 10:55 am IST

(मनीषा रेगे)

मुंबई, 20 अप्रैल (भाषा) मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया के निकट प्रस्तावित यात्री जेट्टी का निर्माण स्थानीय लोगों के विरोध के कारण अटक गया है। स्थानीय लोगों का मानना है इससे पर्यावरण के लिए और विरासत स्थलों के लिए खतरा पैदा होगा।

यह परियोजना महाराष्ट्र समुद्री बोर्ड द्वारा पूरी की जानी है। जेट्टी जलक्षेत्र और थल के बीच निर्मित ऐसी संरचना होती है जिसका उपयोग लोग नावों पर चढ़ने और उतरने के लिए करते हैं।

स्थानीय निवासियों के 229 करोड़ रुपये की इस परियोजना के खिलाफ एकजुट होने के बीच, उन्हें विभिन्न दलों के राजनेताओं से समर्थन मिल रहा है। हालांकि राज्य सरकार ने उनकी चिंताओं को दूर करने का आश्वासन दिया है तथा इस बात पर जोर दिया है कि जेट्टी-सह-टर्मिनल भवन से आम लोगों को लाभ होगा।

मुंबई के प्रसिद्ध स्थलों में से एक कोलाबा स्थित गेटवे ऑफ इंडिया नौका यातायात का केंद्र है, जो लोकप्रिय पर्यटन स्थल एलिफेंटा गुफाओं और मांडवा गांव तक पर्यटकों को पहुंचाने संबंधी दैनिक सेवाएं प्रदान करता है।

प्रस्तावित जेट्टी और टर्मिनल का निर्माण गेटवे ऑफ इंडिया से लगभग 500 मीटर की दूरी पर रेडियो क्लब के पास होना है। स्थानीय लोग इसे पर्यावरण के लिए और आसपास के क्षेत्र में स्थित ऐतिहासिक स्थलों के लिए खतरा बता रहे हैं। लोग परियोजना का विरोध करने के लिए ‘क्लीन हेरिटेज कोलाबा रेजिडेंट्स एसोसिएशन’ (सीएचसीआरए) के बैनर तले एकजुट हुए हैं।

राज्य विधानसभा अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी के विधायक राहुल नार्वेकर, शिवसेना के राज्यसभा सदस्य मिलिंद देवड़ा, दक्षिण मुंबई से लोकसभा सदस्य अरविंद सावंत (शिवसेना-यूबीटी), समाजवादी पार्टी के नेता अबू आसिम आज़मी और अन्य राजनेताओं ने प्रदर्शनकारी निवासियों का समर्थन किया है।

इस परियोजना को दो वर्ष में पूरा किया जाना है। जिसमें गेटवे ऑफ इंडिया से सभी नाव यातायात का मार्ग परिवर्तित करने, मौजूदा भीड़भाड़ को कम करने तथा पुराने ढांचों को उन्नत किया जाना है।

उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने परियोजना के लिए 2025-26 के बजट में 229 करोड़ रुपये आवंटित किए। बंदरगाह मंत्री नितेश राणे ने 14 मार्च को भूमिपूजन किया।

जैसे-जैसे परियोजना आगे बढ़ी, स्थानीय निवासियों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने पत्रों, बैठकों और एक ऑनलाइन याचिका के माध्यम से एमएमबी अधिकारियों से सभी काम रोकने का आह्वान किया और मांग की कि परियोजना को दक्षिण मुंबई में किसी अन्य स्थान प्रिंसेस डॉक, फेरी घाट या बैलार्ड एस्टेट पर स्थानांतरित किया जाए।

विरोध के कारण, जेट्टी निर्माण के लिए बनाए गए प्लेटफॉर्म को हटा दिया गया है।

सीएचसीआरए के प्रवक्ता रॉकी लोबो ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘ गेटवे ऑफ इंडिया के पास प्रस्तावित जेट्टी ने नागरिकों, पर्यावरणविदों और विरासत संरक्षणवादियों के बीच व्यापक चिंता पैदा कर दी है। अगर यह परियोजना लागू की गई तो यह कोलाबा के सांस्कृतिक, पर्यावरणीय और सामाजिक ताने-बाने के नाजुक संतुलन को बिगाड़ देगी। हमें मुंबई की विरासत की रक्षा करनी है, यातायात की भीड़ को कम करना है और जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरों का समाधान करना है।’’

भाषा शोभना प्रशांत

प्रशांत

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)