मुंबई, एक दिसंबर (भाषा) मुंबई की एक अदालत ने 37 वर्षीय व्यक्ति को जहरीली आइसक्रीम खिलाकर अपने एक बेटे की हत्या करने तथा दो अन्य बच्चों की हत्या करने की कोशिश के आरोप से बरी कर दिया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अश्विनी कस्तूरे ने हाल में सुनाए गए फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष अली नौशाद अंसारी पर लगाए गए आरोप को साबित करने में ‘पूरी तरह विफल’ रहा है।
अभियोजन पक्ष को तब बड़ा झटका लगा जब गवाह अपने बयान से पलट गए और पीड़ितों की मां एवं शिकायतकर्ता ने अपने बेटे की मौत के बारे में अपने पति के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने से इनकार कर दिया।
पुलिस ने आरोप लगाया था कि 25 जून 2021 को अंसारी ने घरेलू झगड़ों से परेशान होकर उपनगरीय गोवंडी स्थित अपने आवास पर अपने तीन बच्चों को आइसक्रीम में चूहे मारने की दवा ‘रटोल’ मिलाकर खिला दिया था।
उपचार के बाद दो बच्चे बच गए, जबकि एक की चार दिन बाद मौत हो गई, जिसके बाद पुलिस ने भारतीय दंड संहिता के तहत हत्या, हत्या का प्रयास और अन्य अपराध में मामला दर्ज किया।
अपने बयान में, पीड़ित की मां ने इस बात से इनकार किया कि उसने अपने पति के खिलाफ अपने बेटे की मौत की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उन्होंने इस बात से भी इनकार किया कि उनके बेटे की मौत ज़हर खाने से हुई थी।
उनकी एक बेटी ने बताया कि वह और उसके भाई-बहन जेली खाकर घर के बाहर खेल रहे थे, जो उन्होंने अपनी मां के दिए पैसों से खरीदी थी। लड़की ने इस आरोप का खंडन किया कि उसके पिता ने उन्हें चूहे मारने वाली दवा मिली आइसक्रीम दी थी।
अदालत ने रिकॉर्ड पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद पाया कि मुख्य गवाहों ने अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया है।
भाषा
नोमान धीरज
धीरज