मालेगांव विस्फोट: विशेष अदालत ने पूर्व एटीएस अधिकारी के मोहन भागवत से संबंधित दावे को खारिज किया

मालेगांव विस्फोट: विशेष अदालत ने पूर्व एटीएस अधिकारी के मोहन भागवत से संबंधित दावे को खारिज किया

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  • Publish Date - August 1, 2025 / 10:27 PM IST,
    Updated On - August 1, 2025 / 10:27 PM IST

मुंबई, एक अगस्त (भाषा) यहां की एक विशेष अदालत ने सितंबर 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में सात लोगों को बरी करते हुए अपने फैसले में महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के एक पूर्व अधिकारी के इस दावे को खारिज कर दिया कि उन्हें इस मामले में संघ प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया था।

विशेष एनआईए न्यायाधीश ए.के. लाहोटी ने अपने 1000 से अधिक पृष्ठों के फैसले में कहा कि उन्हें आरोपी सुधाकर द्विवेदी के वकील द्वारा उठाए गए तर्कों में कोई दम नहीं दिखा, जिन्होंने पूर्व एटीएस अधिकारी महबूब मुजावर द्वारा किए गए दावों पर भरोसा किया था।

मुजावर की टिप्पणियां पूरी तरह से खारिज हो गईं। उन्होंने बृहस्पतिवार को दोहराया था कि उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख भागवत को पकड़ने के लिए कहा गया था और इसके पीछे उद्देश्य यह स्थापित करना था कि “भगवा आतंकवाद” है।

मुजावर ने उस समय यह भी दावा किया था कि वरिष्ठ एटीएस अधिकारियों ने उन्हें भागवत को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था, लेकिन उन्होंने ऐसे अवैध आदेशों का पालन करने से इनकार कर दिया था, क्योंकि उन्हें कथित अपराध में भागवत की कोई भूमिका नहीं मिली थी।

अदालत ने अपने आदेश में बचाव पक्ष के वकील की उस दलील को खारिज कर दिया, जो तत्कालीन मुख्य जांच अधिकारी एसीपी मोहन कुलकर्णी के बयान पर आधारित थी। कुलकर्णी ने कहा था कि मुजावर को कभी संघ के किसी सदस्य को गिरफ्तार करने के लिए नहीं कहा गया था और उन्हें केवल दो फरार आरोपियों – रामजी कलसांगरा तथा संदीप डांगे का पता लगाने के लिए भेजा गया था।

भाषा प्रशांत नेत्रपाल

नेत्रपाल