माल्या के भारत लौटने पर ही भगोड़ा अपराधी कानून के विरूद्ध उसकी याचिका पर होगी सुनवाई: उच्च न्यायालय

माल्या के भारत लौटने पर ही भगोड़ा अपराधी कानून के विरूद्ध उसकी याचिका पर होगी सुनवाई: उच्च न्यायालय

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  • Publish Date - December 23, 2025 / 07:47 PM IST,
    Updated On - December 23, 2025 / 07:47 PM IST

मुंबई, 23 दिसंबर (भाषा) मुंबई उच्च न्यायालय ने भगोड़ा कारोबारी विजय माल्या को मंगलवार को स्पष्ट संदेश दिया कि जब तक वह हलफनामा दाखिल कर भारत लौटने की अपनी योजना के बारे में नहीं बताता, अदालत भगोड़ा आर्थिक अपराधी (एफईओ) अधिनियम को चुनौती देने संबंधी उसकी याचिका पर विचार नहीं करेगी।

वर्ष 2016 से ब्रिटेन में रह रहे माल्या ने उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर की हैं। एक में उसने उसे भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने के आदेश को चुनौती दी है। वहीं, दूसरी में उसने 2018 के अधिनियम की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया है।

भारत में धोखाधड़ी और धनशोधन के आरोपों में मुकदमे का सामना करने के लिए वांछित 70 वर्षीय कारोबारी से उच्च न्यायालय ने उसकी दो याचिकाओं की सुनवाई के दौरान स्वदेश लौटने के बारे में पूछा।

मुख्य न्यायाधीश श्री चन्द्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की पीठ ने सवाल किया कि कारोबारी की कब भारत लौटने की योजना है।

उच्च न्यायालय ने माल्या के वकील अमित देसाई को स्पष्ट कर दिया कि जब तक माल्या अदालत के समक्ष खुद को पेश नहीं करता, एफईओ अधिनियम के खिलाफ उसकी याचिका पर सुनवाई नहीं की जाएगी।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिकाओं का विरोध करते हुए दलील दी कि देश की अदालतों के समक्ष भगोड़ों के पेश हुए बिना किसी अधिनियम की वैधता को चुनौती देने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

उन्होंने उच्च न्यायालय से कहा कि एफईओ अधिनियम इसलिए लाया गया था ताकि ऐसे लोग देश से बाहर रहकर और अपने वकीलों के माध्यम से याचिकाएं दायर कर कानून का दुरुपयोग न कर सकें।

मेहता ने उच्च न्यायालय को बताया कि माल्या के खिलाफ शुरू की गई प्रत्यर्पण प्रक्रिया आखिरी चरण में है।

पीठ ने स्पष्ट किया कि वह माल्या की दोनों याचिकाओं को एक साथ आगे नहीं बढ़ने दे सकती। उसने अब बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस के प्रवर्तक माल्या से यह स्पष्ट करने को कहा कि वह कौन सी याचिका को आगे बढ़ाना चाहता है और कौन सी वापस लेना चाहता है।

देसाई ने अदालत को बताया कि माल्या की 14,000 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त होने और ऋणदाता बैंकों द्वारा 6,000 करोड़ रुपये की देनदारियों की वसूली के साथ वित्तीय देनदारी प्रभावी रूप से समाप्त हो गई है।

उच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 12 फरवरी के लिए तय की है, तब तक माल्या को अदालत को यह बताना होगा कि वह किस याचिका को आगे बढ़ाना चाहता है।

जनवरी 2019 में धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामलों की सुनवाई करने वाली एक विशेष अदालत ने माल्या को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया था।

कई ऋणों का भुगतान न करने और धनशोधन के आरोपों का सामना कर रहे माल्या ने मार्च 2016 में भारत से बाहर चला गया था।

भाषा राजकुमार सुभाष

सुभाष