मुंबई, 11 दिसंबर (भाषा) एक अदालत ने 1993 के मुंबई दंगों के मामले में 53 वर्षीय एक व्यक्ति को बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष हिंसा में उसकी भागीदारी साबित करने में विफल रहा।
अयोध्या में छह दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद मुंबई में सबसे भीषण सांप्रदायिक दंगे हुए थे।
हिंसा के लगभग 33 साल बाद, पांच दिसंबर को दिए गए फैसले में, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एमबी ओझा ने आसिफ अली शेख को भारतीय दंड संहिता के तहत हत्या के प्रयास, दंगा और गैरकानूनी सभा सहित अन्य आरोपों से बरी कर दिया।
आदेश में (जिसकी एक प्रति बृहस्पतिवार को उपलब्ध हुई) अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष कथित गैरकानूनी सभा या दंगों में शेख की सक्रिय भागीदारी को साबित करने में विफल रहा।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, 12 जनवरी, 1993 को शहर के वडाला (पूर्व) इलाके में दो समुदायों के 300 से 400 लोगों के बीच झड़प हुई, जिसके दौरान घरों और कारखानों पर पत्थर, सोडा की बोतलें और ट्यूब लाइटें फेंकी गईं।
इससे पहले अदालत ने सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए 2003 से 2023 के बीच इस मामले में 14 आरोपियों को बरी कर दिया था। शेख को जुलाई 2025 में गिरफ्तार किया गया था।
दिसंबर 1992 और जनवरी 1993 में हुए दंगों में अनुमानत: 900 लोग मारे गए थे।
भाषा तान्या प्रशांत
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