पेंच बाघ अभयारण्य से छोड़ा गया गिद्ध 17 दिनों में 750 किमी उड़कर नासिक पहुंचा

पेंच बाघ अभयारण्य से छोड़ा गया गिद्ध 17 दिनों में 750 किमी उड़कर नासिक पहुंचा

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  • Publish Date - December 28, 2025 / 05:12 PM IST,
    Updated On - December 28, 2025 / 05:12 PM IST

मुंबई, 28 दिसंबर (भाषा) महाराष्ट्र के पेंच बाघ अभयारण्य से इस महीने की शुरुआत में छोड़ा गया ‘जे132’ नामक एक लंबी चोंच वाला गिद्ध 17 दिनों में करीब 750 किलोमीटर की दूरी तय कर नासिक जिले में त्र्यंबकेश्वर के पास अंजनेरी पहाड़ियों के करीब पहुंच गया है। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।

राज्य वन विभाग और ‘बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी’ (बीएनएचएस) के संयुक्त संरक्षण कार्यक्रम के तहत इस गिद्ध को 11 दिसंबर को छोड़ा गया था।

बीएनएचएस के शोधकर्ताओं के अनुसार, यह गिद्ध नागपुर, वर्धा, यवतमाल, हिंगोली, वाशिम, बुलढाणा, जालना और छत्रपति संभाजीनगर जिलों से होते हुए 27 दिसंबर को नासिक क्षेत्र में दाखिल हुआ और अंजनेरी से लगभग 38 किलोमीटर दूर एक स्थान पर पहुंच गया।

अधिकारियों ने बताया कि ट्रैक किए जा रहे इस गिद्ध के सटीक गंतव्य को उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गोपनीय रखा गया है।

बीएनएचएस शोधकर्ता मनन सिंह ने बताया, ‘यह पक्षी शाम को विश्राम करता है, सुबह भोजन करता है और फिर अगले स्थान के लिए उड़ जाता है। उसकी गतिविधियों से संकेत मिलता है कि अपनी यात्रा के दौरान इसने कम से कम दो बार भरपेट खुराक ली है।’

मनन ने कहा कि यह गिद्ध उन 14 पक्षियों के दूसरे समूह का हिस्सा है, जिन्हें हरियाणा के पिंजौर से लाकर पेंच में आठ महीने तक प्रशिक्षित किया गया था।

उन्होंने बताया कि इनमें सफेद पीठ वाले आठ और लंबी चोंच वाले पांच गिद्ध शामिल थे, जिनकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए उन पर जीपीएस टैग लगाए गए हैं।

मनन ने बताया कि प्रशिक्षण के बाद इन पक्षियों को 11 दिसंबर को महाराष्ट्र के मुख्य वन्यजीव वार्डन श्रीनिवास रेड्डी और बीएनएचएस के अध्यक्ष प्रवीण परदेशी ने छोड़ा था।

अधिकारियों ने बताया कि 12 से 15 दिसंबर के बीच छोड़े गए सभी गिद्धों को पेंच में जंगली गिद्धों के साथ खाते हुए देखा गया।

उन्होंने कहा कि मुक्त किए जाने के बाद सफेद पीठ वाले गिद्ध ज्यादातर पेंच क्षेत्र के आसपास ही रहे, जबकि लंबी चोंच वाले गिद्धों ने दूरदराज के क्षेत्रों की यात्रा शुरू कर दी है।

अधिकारियों ने बताया कि इसी समूह का एक अन्य गिद्ध ‘एलबीवी एबी1’ गडचिरोली जिले के धानोरा तक पहुंच गया है, जो गिद्धों का एक ज्ञात प्राकृतिक आवास है।

बीएनएचएस के निदेशक किशोर रिठे ने कहा, ‘इन गिद्धों पर जीपीएस ट्रांसमीटर लगाए गए हैं, ताकि वैज्ञानिक तौर पर यह पता लगाया जा सके कि वे कहां जा रहे हैं, किन जगहों पर रह रहे हैं और कैसे जीवित रह रहे हैं। जे132 की इस यात्रा ने पक्षी प्रेमियों में काफी दिलचस्पी जगाई है।’’

भाषा

सुमित दिलीप

दिलीप