तलाक की कार्यवाही में पत्नी के लगाए गए नपुंसकता के आरोप मानहानिकारक नहीं : उच्च न्यायालय

तलाक की कार्यवाही में पत्नी के लगाए गए नपुंसकता के आरोप मानहानिकारक नहीं : उच्च न्यायालय

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  • Publish Date - August 1, 2025 / 03:49 PM IST,
    Updated On - August 1, 2025 / 03:49 PM IST

मुंबई, एक अगस्त (भाषा) मुंबई उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति की अपनी अलग रह रही पत्नी के खिलाफ दायर शिकायत खारिज करते हुए कहा कि वैवाहिक मामलों में एक महिला द्वारा पति पर लगाए गए नपुंसकता के आरोप उस स्थिति में मानहानि नहीं माने जाते, जब वह अपने हितों की रक्षा के लिए ऐसे आरोप लगाती है।

न्यायमूर्ति एस.एम. मोदक की पीठ ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम याचिका में नपुंसकता के आरोप बहुत प्रासंगिक हैं।

अदालत ने याचिकाकर्ता की उस शिकायत को खारिज कर दिया जिसमें उसने अपनी अलग रह रही पत्नी और उसके परिवार के खिलाफ मानहानि का मुकदमा चलाने का अनुरोध किया था। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि पत्नी द्वारा शुरू की गई तलाक की कार्यवाही में उसे नपुंसक करार दिया गया था।

सत्रह जुलाई को दिए गए आदेश की प्रति शुक्रवार को उपलब्ध कराई गई।

अदालत ने कहा कि महिला द्वारा ये आरोप लगाना उचित था ताकि यह दिखाया जा सके कि विवाह में उसके साथ क्रूरता हुई है। उसने कहा कि नपुंसकता के आरोप तलाक का आधार बन सकते हैं।

अदालत ने कहा कि तलाक की कार्यवाही के दौरान पत्नी द्वारा ऐसे आरोप लगाए जाने को मानहानिकारक नहीं माना जा सकता है।

भाषा शफीक प्रशांत

प्रशांत