(Diwali 2025, Image Credit: Meta AI)
Diwali 2025: दीपावली का त्योहार सिर्फ रोशनी और उत्सव का नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा, आस्था और सत्य की जीत का प्रतीक है। यह वह दिन है जब भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। तभी से दिवाली को अंधकार पर प्रकाश और अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में मनाया जाता है। इस दिन देशभर में दीप जलाकर वातावरण को पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा से भर दिया जाता है। माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा कर धन, समृद्धि और सुख-शांति की कामना की जाती है।
हालांकि अधिकतर स्थानों पर दिवाली का उत्सव 20 अक्टूबर को धूमधाम से मनाया गया, लेकिन देश के कई राज्यों और शहरों में आज यानी मंगलवार, 21 अक्टूबर को भी धूमधाम से दिवाली मनाया जा रहा है। ऐसी मान्यता है कि दिवाली की रात कुछ विशेष स्थानों पर दीपक जलाने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और जीवन में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती। साथ ही पितरों का आशीर्वाद भी हमेशा बना रहता है।
दीपावली की रात माता लक्ष्मी के सामने घी का दीपक अवश्य जलाएं। ध्यान रखें कि दीपक पूरी रात जलता रहे। यदि घी कम हो जाए तो दोबारा उसमें घी डालें। यह दीपक लक्ष्मी कृपा को आकर्षित करता है।
पीपल का पेड़ अत्यंत पवित्र माना गया है क्योंकि इसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। दिवाली की रात इसके नीचे दीपक जलाना त्रिदेवों की कृपा और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त कराने वाला अचूक उपाय माना गया है।
घर के पास स्थित किसी मंदिर में जाकर दीपक अवश्य जलाएं। विशेष रूप से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु के मंदिर में दीप प्रज्वलित करना बेहद शुभ माना गया है। इससे पुण्य की प्राप्ति होती है।
दिवाली की रात किसी सुनसान या अंधकारयुक्त स्थान पर एक दीपक अवश्य जलाएं, जिसे यम दीप कहा जाता है। यह दीपक पितरों को प्रकाश देता है और उनके आशीर्वाद से वंश में शांति और सुरक्षा बनी रहती है।
अगर संभव हो तो किसी पवित्र नदी या तालाब के किनारे भी एक दीपक जलाएं। यह दीपक पितृ तर्पण के रूप में अर्पित किया जाता है। इससे जीवन में मानसिक शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक संतुलन बना रहता है।