(Saphala Ekadashi 2025, Image Credit: IBC24 Archive)
Saphala Ekadashi 2025: सफल एकादशी का व्रत भगवान विष्णु और कृष्ण को अत्यंत प्रिय माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि बड़ी-बड़ी दक्षिणा वाले यज्ञों से भी भगवान को उतना संतोष नहीं होता, जितना एकादशी-व्रत के अनुष्ठान से होता है। इसलिए भक्तों को पूरी निष्ठा और विधि विधान से यह व्रत करना चाहिए। पौष मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली सफला एकादशी इस वर्ष 15 दिसंबर को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा नारियल, सुपारी, नीबू, अनार, आंवला, लौंग, बेर और आम जैसे फलों से करनी चाहिए।
सफला एकादशी इस वर्ष 14 दिसंबर को शाम 06:51 बजे शुरू होगी और 15 दिसंबर को रात 09:21 बजे समाप्त होगी। इस बार यह द्वादशी युक्त एकादशी है, इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। 15 दिसंबर को चित्रा नक्षत्र, शोभन और जयद योग भी रहेगा, जो व्रत के पुण्य और फल को विशेष बनाता है। इस दिन स्नान करके शुद्ध कपड़े पहनना और भगवान विष्णु तथा देवी लक्ष्मी को पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराना शुभ माना जाता है।
एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा में चंदन, इत्र, तुलसी, धूप-दीप, नैवेद्य और पान-सुपारी का प्रयोग करना चाहिए। इसके साथ ही नारियल, नीबू और विभिन्न फलों से भव्य पूजा की जाती है। भक्त इस दिन विशेष ध्यान और भक्ति भाव से पूजा करें, क्योंकि ऐसा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन के सभी कार्य सफल होते हैं। इस दिन चावल का सेवन वर्जित है।
सफला एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को द्वादशी तिथि पर व्रत का पारण करना चाहिए। पारण के समय ब्राह्मण को अन्न, वस्त्र और तिल का दान करने से पितरों की तृप्ति होती है। इसके अलावा, दान और पूजा से व्यक्ति अपने पापों से मुक्ति पाता है। इस प्रकार सफला एकादशी का व्रत न केवल धार्मिक बल्कि कर्म और पुण्य की दृष्टि से भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है।