दशमी तिथि को सूर्यास्त से पहले घर की साफ-सफाई कर लें। एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद कलश स्थापना कर भगवान विष्णु की पूजा करें। उन्हें दीप,धूप,नैवेद्य,और फल अर्पित करें।
इस बार एकादशी तिथि 18 मई सुबह 11 बजकर 22 मिनट से शुरू होकर 19 मई दोपहर 1 बजकर 50 मिनट तक है। उदय तिथि होने के कारण 19 मई को मोहिनी एकादशी व्रत रखा जाएगा।
माना जाता है कि एकादशी के दिन मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं इसलिए इस दिन तुलसी में जल नहीं चढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही एकादशी के दिन तुलसी की पत्तियां को भूल से भी नहीं तोड़ना चाहिए। ऐसा करना अशुभ होता है। एकादशी की पूजा में तुलसी का इस्तेमाल करने के लिए तुलसी एक दिन ही पहले तोड़कर रख लेनी चाहिए। एकादशी के दिन महिलाओं को तुलसी की पूजा बाल बांधकर ही करनी चाहिए और ना काले कपड़े पहनने चाहिए।