Pitru Paksha 2022: पितरों का श्राद्ध देते समय भूलकर भी न करें ये गलतियां, नहीं तो…

Pitru Paksha 2022: पितृपक्ष में हम अपने पितरों को नियमित रूप से जल देते हैं। उनकी आत्मा की शांती के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं। 

Pitru Paksha 2022: पितरों का श्राद्ध देते समय भूलकर भी न करें ये गलतियां, नहीं तो…

Pitru Paksha 2022

Modified Date: November 29, 2022 / 10:16 am IST
Published Date: September 7, 2022 11:10 pm IST

Pitru Paksha 2022: पितृपक्ष में हम अपने पितरों को नियमित रूप से जल देते हैं। उनकी आत्मा की शांती के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं। ऐसा मााना जाता है कि पितृपक्ष में हमारे पितृ धरती पर आकर हमें आशीर्वाद देते हैं और जीवन में चल रही समस्याओं को दूर करते हैं। इसलिए पितृपक्ष में हम लोग अपने पितरों को याद करते हैं और उनकी याद में पिंडदान और दान धर्म के कार्यों का पालन करते हैं। इस बार पितृपक्ष 10 सितंबर से 25 सितंबर तक रहेगा। सर्वपितृ अमावस्या के साथ इसका समापन हो जाएगा। घर का कोई वरिष्ठ पुरुष सदस्य श्राद्ध कर्म कर सकता है। यदि वो मौजूद ना हो तो घर को कोई भी पुरुष सदस्य कर सकता है। पौत्र और नाती को भी तर्पण और श्राद्ध का अधिकार होता है।

पितृपक्ष में जल दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके दोपहर के समय दिया जाता है। श्राद्ध के समय जल में काला तिल मिलाएं और हाथ में कुश रखें। इसमें पूर्वज के देहांत की तिथि पर अन्न और वस्त्र का दान किया जाता है। उसी दिन किसी निर्धन को भोजन भी कराया जाता है। इसके बाद पितृपक्ष के कार्य समाप्त हो जाते हैं।
read more : पार्टी में व्यस्त थे फ्रेंड और मेहमान, नशे में टल्ली लड़की के साथ रेप कर फरार हो गया लड़का

पितृपक्ष में सात्विक आहार खाएं। प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा से परहेज करें। जहां तक संभव हो दूध का प्रयोग कम से कम करें। श्राद्ध करते वक्त तीन बातों का विशेष ख्याल रखें। पितरों को हल्की सुगंध वाले सफेद पुष्प अर्पित करने चाहिए। तीखी सुगंध वाले फूल वर्जित माने जाते हैं। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों को तर्पण और पिंड दान करना चाहिए। कर्ज लेकर या दबाव में कभी भी श्राद्ध कर्म नहीं करना चाहिए। पितृपक्ष में नित्य भगवदगीता का पाठ करें।

 ⁠

read more : जवानी की दहलीज पर चढ़ते ही इस लड़के को आने लगा पीरियड!, वजह जानकर डॉक्टर भी हैरान

पितृपक्ष की अवधि में दोनों वेला स्नान करके पितरों को याद करना चाहिए। कुतप वेला में पितरों को तर्पण दें। इसी वेला में तर्पण का विशेष महत्व होता है। तर्पण में कुश और काले तिल का विशेष महत्व है। इनके साथ तर्पण करना अद्भुत परिणाम देता है। पितृपक्ष में श्राद्ध करने वालों को केवल एक वेला सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।

 

 


लेखक के बारे में