Pitru Paksha 2022 : अगर पितरों को दिलाना चाहते हैं तृप्ति, तो इन जीवों को कराएं भोजन

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  • Publish Date - September 8, 2022 / 06:07 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 10:32 AM IST

Pitru Paksha 2022 : भोपाल – 10 सितम्बर से 16 दिन का श्राद्ध पक्ष शुरू होने जा रहा है। पितृपक्ष का हिन्दू धर्म में बहुत महत्त्व है। पितृपक्ष में हम अपने पितरों के लिए ब्राह्मण को भोजन कराते हैं, इसके साथ ही हम कौए के लिए भी भोजन निकालते हैं। इनके अतिरिक्त हमें पितृपक्ष के दौरान जीवों को भोजन जरूर कराना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि हमारे पितृ कुछ जीवों के माध्यम से धरती पर हमारे निकट आते हैं। इनके माध्यम से ही वो आहार ग्रहण करते हैं।>>*IBC24 News Channel के WHATSAPP  ग्रुप से जुड़ने के लिए  यहां CLICK करें*<<

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Pitru Paksha 2022 : पितृ पक्ष हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होता है जो 15 दिनों तक चलता है। इस साल पितृ पक्ष 10 सिंतबर को शुरू होकर 25 सितंबर को समाप्त हो रहे हैं। पितृ पक्ष में पिंडदान का खास महत्व होता है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत महत्व है। इसमें पूरी श्रद्धा के साथ पितरों को याद किया जाता है और उनके प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। विधिपूर्वक पितरों का श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देकर जाते हैं।

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Pitru Paksha 2022 : पिंडदान में दान-दक्षिणा किया जाता है जिससे पूर्वजों की आत्मा को शांति और मुक्ति मिल सके। श्राद्धपक्ष में इस दान का काफी महत्व है। पितृ पक्ष में पितरों को तृप्ति तभी मिलती जब उन्हें अर्पित किए जाने वाले भोजन के पांच अंश निकाले जाते हैं। ये पांच अंश गाय, कुत्ता, चींटी, कौवा और देवताओं के नाम पर निकाले जाते हैं। भोजन का ये अंश पत्ते पर गाय, कुत्ता, चींटी और देवताओं के लिए निकाला जाता है जबकि कौवे के लिए इसे भूमि पर रखा जाता है। फिर पितरों से प्रार्थना की जाती है कि वो इनके माध्यन से भोजन ग्रहण करें।

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Pitru Paksha 2022 : इन पांच अंशों के अर्पण को पञ्च बलि कहा जाता है। पञ्च बलि के साथ ही श्राद्ध कर्म पूर्ण माना जाता है। श्राद्ध में भोजन का अंश ग्रहण करने वाले इन पांचों जीवों का विशेष महत्व होता है। इसमें कुत्ता जल तत्व,चींटी अग्नि, कौवा वायु का, गाय पृथ्वी तत्व का और देवता आकाश तत्व का प्रतीक माने गए हैं। इन पांचों को आहार देकर पंच तत्वों के प्रति आभार भी व्यक्त किया जाता है। मान्यता है कि पितृ पक्ष में इन जीवों को भोजन कराने से पितृ दोष से भी मुक्ति मिल सकती है।

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