खजुराहो के मंदिरों में विराजमान है साक्षात 'माया', पूरी दुनिया में विख्यात है यहां की शिल्पकला | Sakshat 'Maya' sits in Khajuraho temples The craftsmanship of this place is famous all over the world

खजुराहो के मंदिरों में विराजमान है साक्षात ‘माया’, पूरी दुनिया में विख्यात है यहां की शिल्पकला

खजुराहो के मंदिरों में विराजमान है साक्षात 'माया', पूरी दुनिया में विख्यात है यहां की शिल्पकला

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:06 PM IST, Published Date : April 29, 2020/9:05 am IST

धर्म। खजुराहो का नाम सुनते ही यहां बने अनोखे मंदिरों की तस्वीर आंखों में उतर जाती है। यहां मंदिर भी ऐसे हैं जिनमें आस्था और कला का अद्भुत संगम है। मंदिरों में शिल्पकला के बेजोड़ नमूने देखने को मिलते हैं। खजुराहो के इतिहास के मुताबिक चंदेल राजाओं ने 85 मंदिरों का निर्माण कराया था, लेकिन आज यहां पर 22 मंदिर और 18 माउंट्स ही बच पाए हैं । अपनी अनोखी पाषाण कलाकृतियों के चलते खजुराहो के मंदिर साल 1986 से विश्व स्मारकों में शामिल हैं ।

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खजुराहो के निडर शिलाधर..अमर शिला में गान तुम्हारा….ये पंक्तियां शब्दांजलि हैं…उन अनाम शिल्पियों के लिए…जिनके हाथों रचा गया खजुराहो का ये मायालोक । जी हां सचमुच का मायालोक । दुनिया में कहीं और पत्थरों को यूं बोलते ना सुनेंगे आप, युगों-युगों से खजुराहों की ये मूर्तियां कुछ कह रही हैं। ये लगातार अपनी माया से लोगों को मुग्ध कर रही हैं। चंदेल राजाओं की सांस्कृतिक राजधानी खजुराहो की हर बात निराली है। अपनी भव्यता और विलक्षणता देखकर दुनिया भर से आए सैलानी हैरान रह जाते हैं। पत्थरों पर चित्रों की भाषा में लिखी ऐसी जीवंत कविता और कहीं दिखी नहीं है । इतिहासकारों के मुताबिक, खजुराहों में चंदेल राजाओं ने नौंवी से बारहवीं सदी के बीच 85 मंदिरों का निर्माण कराया था, जो उस समय भक्ति, आराधना और साधना के केंद्र हुआ करते थे, लेकिन वक्त के थपेड़ों से लड़कर खजुराहों में आज़ महज 22 मंदिर 18 माउंट्स और एक खुदाई से निकला मंदिर ही बच पाया है । पुरातत्व विभाग ने 1956 में खजुराहो के प्राचीन धरोहर को सैलानियों के लिए खोला था ।

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खजुराहो के इन मंदिरों को पुरातत्व विभाग ने तीन समूहों में बांटा है, जिसमें पश्चिम मंदिर समूह, पूर्वी मंदिर समूह और दक्षिण मंदिर समूह शामिल हैं । यहां पर खजुराहों आने वाले देसी और विदेशी पर्यटक आसानी से घूमकर मंदिरों में मौजूद बने अनोखे पाषाण शिल्प को निहार सकते हैं । पश्चिम मंदिर समूह में 11 मंदिर हैं।

जिनमें चौसठ योगिनी मंदिर

ललगुवा मंदिर
मतंगेश्वर महादेव मंदिर
बराह मंदिर
लक्ष्मण मंदिर
पार्वती मंदिर
विश्वनाथ मंदिर
चित्रगुप्त मंदिर
देवी जगदंबा मंदिर
कंदारिया मंदिर
महादेव मंदिर शामिल हैं।

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पूर्वी मंदिर समूह में हनुमान मूर्ति, ब्रह्मा मंदिर, वामन मंदिर, खखरा मठ, जवारी मंदिर, घंटाई मंदिर, पार्श्वनाथ मंदिर, आदिनाथ मंदिर और शांतिनाथ मंदिर शामिल है तो वहीं दक्षिण मंदिर समूह में दूल्हा देव मंदिर और चतुर्भुज मंदिर प्रमुख रूप से शामिल है । इतिहास की अनमोल धरोहर हैं ये मंदिर । इस नायाब धरोहर की शोहरत के चलते देश-विदेश के सैलानी यहां खिंचे चले आते हैं।

खजुराहो के मंदिर कभी आस्था के जागृत द्वार के तौर पर सबके सामने थे लेकिन आज़ ये आस्था से कहीं बढ़कर भारतीय शिल्प कला के बेहतरीन नमूनों के रूप में अपनी कीर्ति पताका फहरा रहे हैं।