Saphala Ekadashi 2024। Image Credit: File Image
नई दिल्ली। Saphala Ekadashi 2024: हिंदू धर्म तीज त्योहारों की तरह ही एकादशी का भी महत्व है। बता दें कि, एकादशी का व्रत माह में दो बार रखा जाता है, जिसमें से एक शुक्ल पक्ष की और दूसरा कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है, लेकिन हर एकादशी का अपना एक अलग महत्व होता है, जिसमें से पौष माह में आने वाली एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है। एकादशी तिथि पर प्रभु श्रीहरि की पूजा और व्रत करने का विधान है। इस बार सफला एकादशी का यह व्रत 26 दिसंबर को रखा जाएगा। तो चलिए जानते हैं क्या है इसका महत्व और पूजा विधि।
इस बार पौष माह कि एकादशी तिथि की शुरुआत 25 दिसंबर को रात 10 बजकर 29 मिनट पर होगी। वहीं तिथि का समापन 27 दिसंबर रात 12 बजकर 43 मिनट पर होगा। ऐसे में सफला एकादशी का व्रत 26 दिसंबर को रखा जाएगा
सफला एकादशी के दिन व्रत और पूजन के लिए सुबह उठकर स्नान करें। इसके बाद मंदिर की सफाई करें। फिर चौकी पर भगवान विष्णु जी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद घी का दीपक जलाएं और विष्णु जी को हल्दी, कुमकुम से तिलक करें। मिठाई और तुलसी दल का भोग लगाएं। शाम को विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करें और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। अंत में सफला एकादशी की कथा पढ़ें और आरती करें।
Saphala Ekadashi 2024: धार्मिक मान्यता के अनुसार, सफला एकादशी का व्रत करने से भक्तों के सभी कार्यों आसानी से पूर्ण होते हैं। इस दिन मंदिर एवं तुलसी के नीचे दीपदान करने का भी बहुत महत्त्वपूर्ण माना गया है। ग्रंथों में सफला एकदशी एक ऐसे दिन के रूप में वर्णित है जिस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के सभी दुख दूर होते हैं और भाग्य खुल जाता है। इस एकदशी का व्रत रखने से मनुष्य की समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
ऊँ श्री विष्णवे नम:
ऊँ श्री प्रजापतये नम:
ऊँ श्री हिरण्यगर्भाय नम:
ऊँ श्री सुरेशाय नम:
ऊँ श्री सर्वदर्शनाय नम:
ऊँ श्री सर्वेश्वराय नम:
ऊँ श्री अच्युताय नम:
ऊँ श्री वासुदेवाय नम:
ऊँ श्री पुण्डरीक्षाय नम:
ऊँ श्री नर-नारायणा नम:
ऊँ श्री परमात्मने नम:
ऊँ श्री विराट पुरुषाय नम:
ऊँ श्री क्षेत्र क्षेत्राज्ञाय नम:
ऊँ श्री केशवाय नम:
ऊँ श्री पुरुषोत्तमाय नम:
ऊँ श्री ईश्वराय नम:
ऊँ श्री हृषीकेशाय नम:
ऊँ श्री पद्मनाभाय नम:
ऊँ श्री विश्वकर्मणे नम:
ऊँ श्री कृष्णाय नम:
ऊँ श्री जनार्दनाय नम:
ऊँ श्री लोकाध्यक्षाय नम:
ऊँ श्री चतुर्भुजाय नम:
ऊँ श्री धर्माध्यक्षाय नम:
ऊँ श्री उपेन्द्राय नम:
ऊँ श्री माधवाय नम:
ऊँ श्री महाबलाय नम:
ऊँ श्री गोविन्दाय नम:
ऊँ श्री प्रजापतये नम:
ऊँ श्री विश्वातमने नम:
ऊँ श्री सहस्त्राक्षाय नम:
ऊँ श्री नारायणाय नम:
ऊँ श्री सिद्ध संकल्पयाय नम:
ऊँ श्री महेन्द्राय नम:
ऊँ श्री वामनाय नम:
ऊँ श्री अनन्तजिते नम:
ऊँ श्री महीधराय नम:
ऊँ श्री गरुडध्वजाय नम:
ऊँ श्री लक्ष्मीपतये नम:
ऊँ श्री दामोदराय नम:
ऊँ श्री कमलापतये नम:
ऊँ श्री परमेश्वराय नम:
ऊँ श्री धनेश्वराय नम:
ऊँ श्री मुकुन्दाय नम:
ऊँ श्री अक्रूराय नम:
ऊँ श्री दु:स्वपननाशनाय नम:
ऊँ श्री भूभवे नम:
ऊँ श्री प्राणदाय नम:
ऊँ श्री देवकी नन्दनाय नम:
ऊँ श्री शंख भृते नम:
ऊँ श्री सुरेशाय नम:
ऊँ श्री कमलनयनाय नम:
ऊँ श्री जगतगुरूवे नम:
ऊँ श्री सनातन नम:
ऊँ श्री सच्चिदानन्दाय नम:
ऊँ श्री द्वारकानाथाय नम:
ऊँ श्री दानवेन्द्र विनाशकाय नम:
ऊँ श्री दयानिधि नम:
ऊँ श्री एकातम्ने नम:
ऊँ श्री शत्रुजिते नम:
ऊँ श्री घनश्यामाय नम:
ऊँ श्री लोकाध्यक्षाय नम:
ऊँ श्री जरा-मरण-वर्जिताय नम:
ऊँ श्री सर्वयज्ञफलप्रदाय नम:
ऊँ श्री विराटपुरुषाय नम:
ऊँ श्री यशोदानन्दनयाय नम:
ऊँ श्री परमधार्मिकाय नम:
ऊँ श्री गरुडध्वजाय नम:
ऊँ श्री प्रभवे नम:
ऊँ श्री लक्ष्मीकान्ताजाय नम:
ऊँ श्री गगनसदृश्यमाय नम:
ऊँ श्री वामनाय नम:
ऊँ श्री हंसाय नम:
ऊँ श्री वयासाय नम:
ऊँ श्री प्रकटाय नम:
ऊँ श्री आनन्दाय नम:
ऊँ श्री सत्यधर्माय नम:
ऊँ श्री उपेन्द्राय नम:
ऊँ श्री चक्रगदाधराय नम:
ऊँ श्री भगवते नम
ऊँ श्री शान्तिदाय नम:
ऊँ श्री गोपतये नम:
ऊँ श्री श्रीपतये नम:
ऊँ श्री श्रीहरये नम:
ऊँ श्री श्रीरघुनाथाय नम:
ऊँ श्री कपिलेश्वराय नम:
ऊँ श्री वाराहय नम:
ऊँ श्री नरसिंहाय नम:
ऊँ श्री रामाय नम:
ऊँ श्री हयग्रीवाय नम:
ऊँ श्री शोकनाशनाय नम:
ऊँ श्री विशुद्धात्मने नम :
ऊँ श्री केश्वाय नम:
ऊँ श्री धनंजाय नम:
ऊँ श्री ब्राह्मणप्रियाय नम:
ऊँ श्री श्री यदुश्रेष्ठाय नम:
ऊँ श्री लोकनाथाय नम:
ऊँ श्री भक्तवत्सलाय नम:
ऊँ श्री चतुर्मूर्तये नम:
ऊँ श्री एकपदे नम:
ऊँ श्री सुलोचनाय नम:
ऊँ श्री सर्वतोमुखाय नम:
ऊँ श्री सप्तवाहनाय नम:
ऊँ श्री वंशवर्धनाय नम:
ऊँ श्री योगिनेय नम:
ऊँ श्री धनुर्धराय नम:
ऊँ श्री प्रीतिवर्धनाय नम:
ऊँ श्री प्रीतिवर्धनाय नम
Saphala Ekadashi 2024 26 दिसंबर को मनाई जाएगी। यह दिन खासतौर पर व्रत और पूजा के लिए महत्वपूर्ण है।
Saphala Ekadashi का व्रत उपवासी रहकर और दिनभर निर्जल व्रत रखते हुए भगवान श्री विष्णु की पूजा करें। शाम को दीप जलाकर विशेष पूजा की जाती है।
इस दिन फलाहार (फल, दूध, आदि) लिया जा सकता है, लेकिन मुख्य रूप से निर्जल व्रत करने की परंपरा है।
Saphala Ekadashi का विशेष महत्व है क्योंकि यह व्रत भक्तों को पुण्य और मनोकामनाओं की पूर्ति में मदद करता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है।
Saphala Ekadashi का व्रत स्वस्थ व्यक्तियों के लिए उपयुक्त है। गर्भवती महिलाएं, बच्चे और बुजुर्गों को व्रत करने से पहले किसी धार्मिक गुरु से सलाह लेनी चाहिए।