चैत्र नवरात्र का सातवां दिन, मां कालरात्रि की पूजन से मिलता है मनवांछित फल, देखें मुहूर्त, पूजन विधि
चैत्र नवरात्र का सातवां दिन, मां कालरात्रि की पूजन से मिलता है मनवांछित फल, देखें मुहूर्त, पूजन विधि
धर्म : चैत्र नवरात्र का सातवें दिन मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है। चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन मां कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस कारण से मां कालरात्रि को शुभंकरी के नाम से भी पुकारा जाता है। मां कालरात्रि की पूजा करने से आकस्मिक संकटों से रक्षा होती है। सप्तमी के दिन मां कालरात्रि को रातरानी का पुष्प अर्पित करने से वह प्रसन्न होती हैं।
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शुभ मुहूर्त
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि यानी चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन 31 मार्च दिन मंगलवार को प्रात:काल 03 बजकर 14 मिनट से प्रारंभ हो गया है, जो 01 अप्रैल दिन बुधवार को प्रात:काल 03 बजकर 49 मिनट तक रहेगा।
मां कालरात्रि की स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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मां कालरात्रि जगतजननी मां दुर्गा के 9 स्वरूपों में से एक हैं। मां कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण का है, काले रंग के कारण उनको कालरात्रि कहा गया है। मां कालरात्रि के केश खुले रहते हैं। चार भुजाओं वाली मां कालरात्रि दोनों बाएं हाथों में कटार और लोहे का कांटा धारण करती हैं। वहीं दो बाएं हाथों में अभय मुद्रा और वरद मुद्रा में होते हैं। गले में एक सफेद माला धारण करती हैं। मां दुर्गा ने महादैत्य रक्तबीज का संहार करने के लिए अपने तेज से मां कालरात्रि को उत्पन्न किया था।
पूजन की विधि
चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर मां कालरात्रि का स्मरण करें। फिर मां कालरात्रि को अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ का नैवेद्य अर्पित करें। मां कालरात्रि का प्रिय पुष्प रातरानी है, यह फूल उनको जरूर अर्पित करें। इसके बाद मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें तथा अंत में मां कालरात्रि की आरती करें। ऐसा करने से आप पर आने वाले संकट दूर होंगे। ध्यान रखें कि आरती और पूजा के समय आपका सिर खुला न रहे, उसे किसी साफ कपड़े से ढंक लें।

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