सावन का यह पावन महीना बेहद खास है। पंचांग के मुताबिक कांवड़ यात्रा सावन मास से शुरू हो जाती है। यह महीना भगवान शिव जी को समर्पित माना गया है। इसलिए शिव भक्तों के लिए सावन का महीना बहुत खास होता है।
सावन में हर साल भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए भक्त कांवड़ यात्रा करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस महीने में की गई शिवजी की उपासना बेहद लाभकारी होती है।
यह महीना भगवान शिव जी को समर्पित माना गया है। इस बार की कांवड़ यात्रा 14 जुलाई से शुरू हो जाएगी।
पौराणिक धार्मिक कथा के मुताबिक, अमृत कलश की प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन हुआ तो उसमें से 14 रत्नों की प्राप्ति हुई थी। कहा जाता है कि उस समुद्र मंथन से विष की भी प्राप्ति हुई थी। जिसे पीने के लिए कोई देवतागण तैयार नहीं हुए, लेकिन भगवान शिव ने उस विष को पी लिया जो उनके गले से नहीं उतरा। जिसकी वजह से उनका गला नीला पड़ गया। जिसकी वजह से उनका नाम नीलकंठ पड़ा। धार्मिक मान्यता है कि रावण भगवान शिव का परम भक्त था और वह भगवान शिव का जलाभिषेक किया करता था, जिससे भोलेनाथ को विष से राहत मिली।
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