Tulsi Vivah 2025: देवउठनी एकादशी पर होगा तुलसी विवाह, इस बार बन रहे हैं खास योग, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

साल 2025 में तुलसी विवाह 2 नवंबर को कार्तिक मास की द्वादशी तिथि पर मनाया जाएगा। इस दिन माता तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह होता है। शुभ मुहूर्त में पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि, शांति और आध्यात्मिक पवित्रता आती है तथा सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

Tulsi Vivah 2025: देवउठनी एकादशी पर होगा तुलसी विवाह, इस बार बन रहे हैं खास योग, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

(Tulsi Vivah 2025, Image Credit: IBC24 News Customize)

Modified Date: October 26, 2025 / 04:15 pm IST
Published Date: October 26, 2025 4:15 pm IST
HIGHLIGHTS
  • तुलसी विवाह 2 नवंबर 2025 को मनाया जाएगा।
  • माता तुलसी और शालिग्राम भगवान का पवित्र विवाह होता है।
  • पूजा-अर्चना के लिए सुप्रसिद्ध मुहूर्त: ब्रह्म, अमृत, अभिजित और गोधूलि।

Tulsi Vivah 2025: हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व माना गया है। यह पावन पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन माता तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम के साथ बड़े ही विधि-विधान के साथ संपन्न किया जाता हैष तुलसी विवाह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि घर में सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक शुद्धता लाने वाला पर्व माना जाता है।

तुलसी विवाह 2025 की तिथि

हिंदू पंचांग के मुताबिक, कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि वर्ष 2025 में 2 नवंबर रविवार को मनाई जाएगी। यह तिथि 2 नवंबर सुबह 7 बजकर 33 मिनट से शुरू होकर 3 नवंबर सुबह 2 बजकर 7 मिनट तक रहेगी। चूंकि उदयातिथि के अनुसार द्वादशी 2 नवंबर को है, इसलिए तुलसी विवाह इसी दिन संपन्न किया जाएगा।

तुलसी विवाह 2025 के शुभ मुहूर्त

इस दिन भगवान शालिग्राम और माता तुलसी की पूजा-अर्चना के लिए कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। भक्त अपनी सुविधा अनुसार इन समयों में तुलसी विवाह अनुष्ठान कर सकते हैं:

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  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:59 से 05:49 तक।
  • प्रातः संध्या: सुबह 05:24 से 06:39 तक।
  • अमृत काल: सुबह 09:29 से 11:00 तक।
  • अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:59 से दोपहर 12:45 तक।
  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:04 से 06:30 तक।

इन शुभ समयों में पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और घर में सुख-शांति का वातावरण बनता है।

तुलसी विवाह का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी और भगवान शालिग्राम को दुल्हा-दुल्हन की तरह सजाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि यह विवाह प्रकृति और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है। तुलसी माता को प्रकृति की शक्ति माना जाता है, वहीं शालिग्राम भगवान विष्णु के स्वरूप हैं। यह पर्व दोनों के संतुलन और समरसता का संदेश देता है।

तुलसी विवाह से मिलने वाले शुभ फल

शास्त्रों के मुताबिक, तुलसी विवाह में भाग लेने या इसका आयोजन करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम, सौहार्द और स्थिरता बनी रहती है। साथ ही घर में धन, समृद्धि, स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। यह पर्व जीवन में आध्यात्मिक उन्नति और शुद्धता का अनुभव कराने वाला माना जाता है।

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लेखक के बारे में

मैं 2018 से पत्रकारिता में सक्रिय हूँ। हिंदी साहित्य में मास्टर डिग्री के साथ, मैंने सरकारी विभागों में काम करने का भी अनुभव प्राप्त किया है, जिसमें एक साल के लिए कमिश्नर कार्यालय में कार्य शामिल है। पिछले 7 वर्षों से मैं लगातार एंटरटेनमेंट, टेक्नोलॉजी, बिजनेस और करियर बीट में लेखन और रिपोर्टिंग कर रहा हूँ।