Vitthal Makar Kundal
Vitthal Makar Kundal : ‘मकर कुंडल’ का अर्थ है मकर यानी मछली के आकार का कान का छल्ला या आभूषण। विठ्ठल जी (विठोबा) के कानों में मकर-कुंडला (मछली के आकार के कुंडल) पहनने के पीछे एक सुंदर कहानी है। यह कहानी भक्त और भगवान के बीच अटूट प्रेम और भक्ति की पराकाष्ठा को दर्शाती है। यह कहानी हमें सिखाती है कि भगवान हर भक्त की भक्ति को स्वीकार करते हैं, चाहे वह किसी भी जाति या वर्ग का हो। हमें हमेशा भगवान के प्रति समर्पित रहना चाहिए और उनकी कृपा पाने के लिए हमेशा प्रयास करना चाहिए। आईये आपको बताते हैं कि पांडुरंगा विट्ठल जी के कानों में मछलियां क्यों हैं?
Vitthal Makar Kundal : Vitthal aur Machhuare ki Kahani
एक गरीब मछुआरा था, जो भगवान विठ्ठल का बहुत बड़ा भक्त था। एक दिन, वह भगवान को अपनी पकड़ी हुई मछलियाँ भेंट करने मंदिर गया, लेकिन मंदिर के पुजारियों और उच्च जाति के लोगों ने उसे रोक दिया, क्योंकि वह एक मछुआरा था और मछली भगवान को चढ़ाना उचित नहीं माना जाता था।
Vitthal Makar Kundal
मछुआरा निराश होकर बाहर खड़ा था, मछुआरे ने भगवान से प्रार्थना की कि वह उसे दर्शन दे और उसकी भेंट स्वीकार करे।भगवान विठ्ठल ने उस मछुआरे की भक्ति और प्रेम को देखा और मंदिर से बाहर आकर मछुआरे से पूछा कि वह क्या चाहता है। मछुआरे ने अपनी परेशानी बताई और कहा कि वह भगवान को अपनी मछलियाँ भेंट करना चाहता है।
Vitthal Makar Kundal
भगवान विठ्ठल ने मछुआरे की भक्ति से प्रसन्न होकर, उसकी मछलियाँ अपने कानों में कुंडल के रूप में धारण कर लीं। इस घटना के बाद, भगवान विठ्ठल को मकर-कुंडला पहने हुए दर्शाया जाता है, जो भक्त और भगवान के बीच प्रेम और समानता का प्रतीक है।
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