Rama Ekadashi 2023 : कब है रमा एकादशी? यहां देखें सही तारीख एवं शुभ मुहूर्त, व्रत रखकर करें हरि-लक्ष्मी के इन मंत्रों का जाप

Rama Ekadashi 2023/Subha Yoga; हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रमा एकादशी मनाई जाती है। इस वर्ष गुरुवार को रमा एकादशी है।

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  • Publish Date - November 8, 2023 / 09:40 AM IST,
    Updated On - November 8, 2023 / 09:40 AM IST

Rama Ekadashi 2023/Subha Yoga

Rama Ekadashi 2023/Subha Yoga : नई दिल्ली। हिंदू धर्म शास्त्रों एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। हर माह दोनों पक्षों की एकादशी तिथि को श्री हरि को समर्पित एकादशी व्रत रखा जाता है। बता दें कि हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रमा एकादशी मनाई जाती है। इस वर्ष गुरुवार को रमा एकादशी है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है। साथ ही भगवान विष्णु के निमित्त एकादशी का व्रत रखा जाता है।

 

कब है रमा एकादशी

Rama Ekadashi 2023/Subha Yoga : पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 08 नवंबर को प्रातः काल 08 बजकर 23 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 09 नवंबर को सुबह 10 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार 9 नवंबर को एकादशी का व्रत रखा जाएगा।

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रमा एकादशी व्रत का महत्व

Rama Ekadashi 2023/Subha Yoga : रमा एकादशी पर पूजा के लिए संध्या काल में दीपदान करने से देवी लक्ष्मी अति प्रसन्न होती हैं और इससे सुख-समृद्धि, धन में वृद्धि होती है और समस्त बिगड़े काम बन जाते हैं। देवी तुलसी लक्ष्मी स्वरूपा है अतः इस दिन तुलसी पूजन बहुत पुण्यदायी है। शास्त्रों के अनुसार जो मनुष्य साल भर आने वाली एकादशी तिथि के व्रत धारण नहीं कर पाता है वो महज इस एकादशी का व्रत रखने से ही जीवन की दुर्बलता और पापों से मुक्ति पाकर सुखमय जीवन जीने लगता हैं।

पद्म पुराण में उल्लेख है कि जो फल कामधेनु और चिन्तामणि से प्राप्त होता है उसके समतुल्य फल रमा एकादशी के व्रत रखने से प्राप्त हो जाता हैं। सभी पापों का नाश करने वाली और कर्मों का फल देने वाली रमा एकादशी का व्रत रखने से धन धान्य की कमी भी दूर हो जाती हैं। रमा एकादशी पर लक्ष्मी-नारायण की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है।

भगवान विष्णु मंत्र

ॐ नमोः नारायणाय। ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय।

शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम।
विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।
लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।
वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकैकनाथम।।

माता लक्ष्मी के मंत्र

ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नम।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद,
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्ये नम:।

 

 

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