भोपाल: इस घोर चुनावी दौर में दोनों पक्षों के आलाकमान का पूरा फोकस MP की जंग जीतने पर है, पर क्या 4 बार सरकार चलाने, आधा दर्जन बड़ी घोषणाएं करने, लाड़ली बहना योजना जैसी महती योजना लॉन्च करने के बाद भी बीजेपी की चुनावी नैया ‘राम जी’ के भरोसे ही है, क्या प्रभु श्री राम की एंट्री के बिना 2023 या 2024 में जरूरी जीत मुश्किल है ? ये सवाल इसलिए क्योंकि मध्य प्रदेश के चुनाव में प्रभु श्रीराम की ऑफिशिएल एंट्री हो गई है.. देखिए ये रिपोर्ट..
ये जयघोष और ये मंत्राचार.. खुले तौर पर शंखनाद है प्रभु श्रीराम के नाम की पॉलिटिक्स के 2023 और 2024 के चुनाव में ऑफिशियल एंट्री का.. जिस चित्रकूट में भगवान राम ने वनवास के 11 साल बिताए, उस धरती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये उद्घोष भले ही गैर राजनैतिक मंच पर हो लेकिन इसका असर 500 किलोमीटर दूर मध्यप्रदेश की राजधानी में दिखने लगा है…भोपाल में पीएम मोदी अयोध्या राम मंदिर के साथ बड़े-बड़े होर्डिंग में दिखने लगे हैं.. ना केवल पीएम बल्कि अब तो पार्टी के तमाम नेता बाकी मुद्दों को छोड़ राम मंदिर निर्माण की घोषणा करने लगे हैं.. हैरत ना होगी कि बहुत जल्द चित्रकूट से चली हवा, पूरे प्रदेश की सियासी फिजा का मौसम बदल दे..
बीजेपी के दो बार के विधायक रामेश्वर शर्मा पूरी सरकार और विधायकों के साथ अयोध्या जाने का दावा कर रहे हैं, यहां सवाल ये कि चुनाव के ऐन पहले राम मंदिर का जिक्र क्या सोची समझी रणनीति का हिस्सा है.. क्या जीत के लिए सिर्फ अब बस ध्रुवीकरण ही एकमात्र रास्ता बचा है…क्यों विकास के एजेंडे को पीछे रखकर मंदिर पर बहस केंद्रित की जा रही है…सवाल ये भी कि क्या सब्सिडी और फ्री की घोषणाओं का भी जनता पर पर्याप्त असर नहीं दिख रहा.. कांग्रेस मानती है कि ये बीजेपी की हार के डर का प्रत्यक्ष प्रमाण है….
22 जनवरी 2024 को अयोध्या में मंदिर के गर्भगृह में रामलला की मूर्ति स्थापित की जाएगी… बीते 35 साल से बीजेपी इस एक राम मंदिर मुद्दे के जरिए, अपनी लाइन और स्ट्रेंथ को बढाती रही है…नतीजा बीजेपी का ग्राफ चढता गया…केंद्र में, कई राज्यों में पार्टी की सरकारें बनी तो इसका सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को ही उठाना पड़ा है…तो क्या इसीलिए अब बीजेपी अपनी सबसे फेवरेट पिच पर कांग्रेस को पटखनी देने की तैयारी में है ?