Odisha vs Bengal | Photo Credit: IBC24
नई दिल्ली: धर्म और आस्था लोगों को जोड़ते हैं, लेकिन इन दिनों धर्म और सियासत का कुछ ऐसा घालमेल है कि मंदिर भी आस्था से ज्यादा आरोपों का केंद्र बन रहे हैं। आखिर क्या है पं बंगाल में बने भगवान जगन्नाथ मंदिर से जुड़ा विवाद।
पश्चिम बंगाल के दीघा घाट पर प्रभु जगन्नाथ का भव्य मंदिर बनाया गया है। ये मंदिर बिल्कुल पुरी जगन्नाथ मंदिर की हूबहू कॉपी है। इस मंदिर का फ्रेमवर्क ही नहीं बल्कि पूजा-अर्चना और नियम कायदे भी पुरी जगन्नाथ मंदिर के तर्ज पर होंगे। 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पूर्वी मिदनीपुर जिले के दीघा में बने इस जगन्नाथ मंदिर का उद्घाटन किया। पूजा-अर्चना के बाद मंदिर को ‘जगन्नाथ धाम’ नाम दिया गया। जिसका ओडिशा में विरोध शुरू हो गया।
विश्वप्रसिद्ध चार धामों में से एक ओडीशा के पुरी जगन्नाथ मंदिर के पंडितों, सेवकों, विद्वानों, कलाकारों से लेकर इतिहासकार मंदिर का नाम ‘जगन्नाथ धाम’ रखने पर आपत्ति जता रहे हैं। विरोध करने वालों का तर्क है, धऱती पर पुरातन काल से जगन्नाथ धाम सिर्फ एक है और वो पुरी में है, देश-दुनिया में कोई भी, कहीं भी जगन्नाथ मंदिर तो बना सकता है लेकिन जगन्नाथ धाम नहीं, ये हिन्दू मान्यताओं-परंपराओं के खिलाफ है। सैंड आर्टिस्ट पद्म श्री सुदर्शन पटनायक ने तो ओडिशा के CM मोहन चरण माझी को चिट्ठी लिखकर पश्चिम बंगाल सरकार से बात करने और ममता बनर्जी से इस मुद्दे पर माफी मांगने की मांग की है।
वैसे ये पहली बार नहीं है जब ओडिशा और बंगाल के बीच किसी मुद्दे पर विवाद हुआ हो। अपनी सीमा, संस्कृति और खानपान को लेकर दोनों राज्यों की अदावत किसी से छिपी नहीं है। इनमें सबसे ज्यादा चर्चा रसगुल्ले के GI टैग को लेकर था। जिसमें बंगाल को जीत मिली थी। ऐसे में अब सवाल है कि जगन्नाथ धाम को लेकर ओडिशा की आपत्ति के बाद बंगाल का क्या रुख रहेगा?