Skanda Sashti 2025: स्कंद षष्ठी की पूजा के समय करे इस मंत्र का जाप, हर समस्या से मिलेगा छुटकारा

Skanda Sashti 2025: स्कंद षष्ठी की पूजा के समय करे इस मंत्र का जाप, हर समस्या से मिलेगा छुटकारा

Skanda Sashti 2025: स्कंद षष्ठी की पूजा के समय करे इस मंत्र का जाप, हर समस्या से मिलेगा छुटकारा

Skanda Sashti 2025/ Image Credit: Pinterest

Modified Date: May 2, 2025 / 03:44 pm IST
Published Date: May 2, 2025 3:44 pm IST
HIGHLIGHTS
  • आज 2 मई को रखा जाएगा स्कंद षष्ठी का व्रत।
  • यह व्रत भगवान कार्तिकेय को समर्पित है।

नई दिल्ली। Skanda Sashti 2025: हिंदू धर्म में हर महीने कई तरह के व्रत, अमावस्या आते हैं। जिनका अपना अलग ही महत्व होता है। जिसे पूरे विधि-विधान के साथ मनाया जाता है। ऐसे में कल स्कंद चुतुर्थी मनाई जाएगी। जो की भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। यह दक्षिण भारत और विशेष रूप से तमिलनाडु में बहुत ही श्रद्धा से मनाया जाता है। इस साल स्कंद षष्ठी व्रत 2 मई 2025, शुक्रवार को मनाई जाएगी। भक्त इस दिन उपवास रखकर भगवान स्कंद की विशेष पूजा करते हैं। तो चलिए जानते हैं क्या है इसकी पूजा विधि।

Read More: Girl Boy in Obscene Situation: शिवा शर्मा बनकर लॉज में रुका था युवक, संदिग्ध हालात में युवती संग रंगे हाथों पकड़ा… असली नाम खुलते ही मच गया हड़कंप!

तिथि और शुभ मुहूर्त

षष्ठी तिथि का प्रारंभ 02 मई 2025, शुक्रवार को सुबह 09 बजकर 14 मिनट से होगा। वहीं इस तिथि का समापन 03 मई 2025, शनिवार को सुबह 07 बजकर 51 मिनट पर होगा।

 ⁠

पूजा विधि

प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को स्वच्छ करके भगवान कार्तिकेय की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। दीप जलाएं और फूल, धूप, अक्षत, रोली, चंदन अर्पित करें। भगवान को विशेष रूप से लाल पुष्प, केला, गुड़ और पंचामृत चढ़ाएं। स्कंद षष्ठी व्रत कथा पढ़ें और आरती करें। अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत खोलें।

Read More: Chhindwara News: 15 दिन में 182 किसानों पर एफआईआर! प्रदेश में इस वजह से अन्नदाताओं पर टूट रही कानून की गाज

करें इन मंत्रो का जाप

कार्तिकेय गायत्री मंत्र – ओम तत्पुरुषाय विधमहे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कन्दा प्रचोद्यात:
ऊं शारवाना-भावाया नमः
ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा
देवसेना मनः काँता कार्तिकेया नामोस्तुते
ऊं सुब्रहमणयाया नमः

व्रत का महत्व

Skanda Sashti 2025: मान्यता है कि, भगवान मुरुगन ने इसी दिन ताड़कासुर राक्षस का वध किया था। इसलिए यह दिन उनकी विजय के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस व्रत को करने से साहस, शक्ति और विजय प्राप्त होती है। साथ ही यह व्रत संतान प्राप्ति, पारिवारिक सुख-शांति और समृद्धि के लिए भी किया जाता है।


लेखक के बारे में