sarkarikarmchari latest news/ image source: IBC24
Sarkari Karmchari Latest News: नई दिल्ली: देश के करोड़ों कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है केंद्र सरकार का नया श्रम नियम। अक्सर देखा जाता है कि किसी कर्मचारी की नौकरी अचानक खत्म होने पर उसे आर्थिक अनिश्चितता, मानसिक दबाव और भविष्य की चिंता का सामना करना पड़ता है। कई बार कंपनियों की देरी और मनमानी के कारण फुल एंड फाइनल सेटलमेंट में महीनों लग जाते हैं, जिससे कर्मचारियों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब यह स्थिति बदलने वाली है। सरकार ने 21 नवंबर 2025 से लागू नई श्रम संहिता में कर्मचारियों के हित में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिससे नौकरी जाने के बाद भी कर्मचारियों को कमाई और सुरक्षा का भरोसा मिलेगा।
Sarkari Karmchari Latest News: नई श्रम संहिता के तहत नौकरी से हटाए गए कर्मचारियों को दो तरह की राशि अनिवार्य रूप से दी जाएगी। इसमें एक हिस्सा उनका फुल एंड फाइनल सेटलमेंट होगा, जबकि दूसरा हिस्सा ‘पुनः कौशल निधि’ के रूप में होगा, जो 15 दिन की मजदूरी के बराबर मुआवजा है। सबसे बड़ी बात यह है कि नौकरी समाप्त होने के 45 दिनों के भीतर यह पूरी राशि सीधे कर्मचारी के बैंक खाते में जमा कर दी जाएगी। यह प्रावधान औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 का हिस्सा है और इसका उद्देश्य कर्मचारियों को नए कौशल सीखकर दोबारा रोजगार पाने के लिए प्रोत्साहित करना है।
नई श्रम संहिता में रिट्रेंचमेंट की परिभाषा को भी और स्पष्ट किया गया है। रिट्रेंचमेंट का मतलब होता है कि किसी कर्मचारी को बिना किसी गलती या अनुशासनहीनता के, कंपनी की आवश्यकता कम होने, प्रोजेक्ट खत्म होने या पद समाप्त होने के कारण नौकरी से हटाया जाए। यह नियम उन स्थितियों पर लागू नहीं होता जब कर्मचारी स्वयं इस्तीफा देता है या रिटायरमेंट लेता है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि नियम केवल आवश्यक और न्यायसंगत परिस्थितियों में ही लागू हो।
Sarkari Karmchari Latest News: कर्मचारियों के लिए इस नई व्यवस्था के कई फायदे हैं। सबसे पहले, अचानक नौकरी जाने पर पैसों की किल्लत नहीं होगी। एक्स्ट्रा 15 दिन की सैलरी और पुनः कौशल निधि का मुआवजा उन्हें शुरुआती महीनों की आर्थिक चुनौतियों से बचाएगा। दूसरा, नई नौकरी खोजने में सहूलियत होगी। पुनः कौशल निधि से कर्मचारी नए कौशल सीखकर रोजगार बाजार में अपनी प्रतिस्पर्धा बढ़ा सकते हैं। तीसरा, कंपनियों की मनमानी पर रोक लगेगी। अब कंपनियां फुल एंड फाइनल सेटलमेंट रोक नहीं पाएंगी और 45 दिनों की समयसीमा अनिवार्य होगी। चौथा, प्रक्रिया पारदर्शी और तेज होगी, जिससे कर्मचारियों और कंपनियों दोनों के लिए प्रक्रिया आसान और न्यायसंगत बन जाएगी।
यह फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में लगातार बदलते रोजगार पैटर्न, तकनीकी बदलाव और आर्थिक उतार-चढ़ाव के बीच नौकरी की अनिश्चितता बढ़ रही है। ऐसे समय में सरकार का यह कदम कर्मचारियों को सुरक्षा कवच देने जैसा है। अब नौकरी खोना आर्थिक संकट का प्रतीक नहीं, बल्कि नए कौशल सीखकर नई शुरुआत का अवसर बन जाएगा। यह बदलाव न केवल कर्मचारियों की वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और भविष्य के लिए तैयार रहने में मदद भी करता है।