देर आये दुरुस्त आये: बारामूला के आकिब नबी की कहानी

देर आये दुरुस्त आये: बारामूला के आकिब नबी की कहानी

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  • Publish Date - December 16, 2025 / 09:54 PM IST,
    Updated On - December 16, 2025 / 09:54 PM IST

…. कुशान सरकार….

(फाइल फोटो के साथ) नयी दिल्ली, 16 दिसंबर (भाषा) जम्मू कश्मीर के तेज गेंदबाज आकिब नबी डार पर ‘देर आए दुरुस्त आए कहावत’ उसी तरह बिल्कुल सटीक बैठती है जैसे उनकी  सीम पर टप्पा खाने वाली गेंद होती है। 29 वर्ष की उम्र में ज्यादातर तेज गेंदबाज या तो खुद को स्थापित कर चुके होते हैं या फिर सुर्खियों से बाहर हो रहे होते हैं लेकिन नबी ने धैर्य, निरंतरता और हालात को अपनी किस्मत तय न करने वाले जज्बे के साथ खुद को साबित किया। उनका सफर कभी भी सीधा या आसान नहीं रहा, लेकिन उनकी आउटस्विंगर भी सीधी नहीं होती जिसने उन्हें पहचान दिलायी। अपनी शानदार गेंदबाजी की बदौलत नबी को अबूधाबी में हुए आईपीएल नीलामी में दिल्ली कैपिटल्स से 8.40 करोड़ रुपये की भारी भरकम रकम मिली। नबी कश्मीर के करीरी से ताल्लुक रखते हैं, जो बारामुला से भी काफी दूर है। वहां खेल के लिए ना मात्र की सुविधाएं मौजूद है।  नेट्स की कमी, अनिश्चित पिचें और लगभग न के बराबर मौका तेज गेंदबाज बनने का सपना देखने वाले किसी युवा के लिए करीरी में आगे बढ़ने या सुधार करने के मौके बहुत सीमित थे। वहां हालांकि एक चीज भरपूर थी और वह थी मजबूरी से पैदा हुई जुझारूपन की भावना। घर में व्यवहारिक सोच अक्सर रोमांच पर भारी पड़ती थी। उनके पिता गुलाम नबी डार चाहते थे कि बेटा पढ़ाई पर ध्यान दे, क्योंकि ऐसे खेल में कोई गारंटी नहीं होती, खासकर उस इलाके में जहां मौके बार-बार दस्तक नहीं देते। उनकी जिद्द हालांकि परिस्थितियों पर भारी पड़ी। नबी ने घरेलू सत्र में पिछले दो सत्र में शानदार प्रदर्शन किया। उनके करियर में दलीप ट्रॉफी में लिया गया हैट्रिक निर्णायक मोड़ साबित हुआ। इस कारनामे ने उन्हें घरेलू क्रिकेट के बड़े मंच पर पहचान दिलाई। पूर्व भारतीय हरफनमौला और जम्मू-कश्मीर क्रिकेट के ध्वजवाहक परवेज रसूल ने उनकी काबिलियत को शुरू में ही पहचान लिया था। रसूल ने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘वह बेहद शांत दिमाग वाला खिलाड़ी है। जब वह जम्मू कश्मीर की टीम में आया, तभी से उसमें खेल की समझ थी, जो सिखाई नहीं जा सकती।’’ नबी तकनीकी रूप से  एक दिलचस्प गेंदबाज हैं। उन्होंने उस गेंद पर कड़ी मेहनत की है जो टप्पा खाने के बाद सीधी निकलती है। इस तरह की गेंद बल्लेबाजों को बार-बार गलत अनुमान लगाने पर मजबूर करती है। लगभग 130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करने के बावजूद वह सीम का शानदार इस्तेमाल कर बल्लेबाजों को चकमा देने में सफल रहते हैं। रसूल मानते हैं कि यही मजबूत बुनियाद उनकी ताकत है। उन्होंने कहा, ‘‘ वह अपने काम से काम रखने वाला लड़का है। लाल गेंद (प्रथम श्रेणी और टेस्ट मैच) क्रिकेट के मुताबिक उनकी बुनियाद काफी मजबूत है। इसी वजह से छोटे प्रारूप के आखिरी ओवरों के दौरान उसकी गेंदबाजी में काफी नियंत्रण रहता है।’’ नबी आईपीएल में इस तरह का करार हासिल करने वाले घाटी के पहले खिलाड़ी है जिससे उनका सफर सिर्फ उनकी कहानी नहीं रही, बल्कि यह घाटी की कहानी बन गयी है। रसूल ने कहा, ‘‘ यह जम्मू-कश्मीर क्रिकेट के लिए रास्ता खोलने वाला पल है। यह हमारे युवाओं को जरूर यकीन दिलाएगा कि यह मुमकिन है।’’ करीरी के शांत मैदानों से लेकर भारतीय क्रिकेट के सबसे चमकदार मंच तक आकिब नबी डार ने साबित कर दिया है कि कभी-कभी देर से पहुंचना मंजिल को और भी मीठा बना देता है। भाषा आनन्द आनन्द आनन्द