नाडा डीसीओ के आरोप साबित करने में विफल रहने के बाद समिति ने जूडोका को दोषमुक्त किया

नाडा डीसीओ के आरोप साबित करने में विफल रहने के बाद समिति ने जूडोका को दोषमुक्त किया

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  • Publish Date - October 28, 2020 / 09:33 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:46 PM IST

नयी दिल्ली, 28 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) की अनुशासन समिति (एडीडीपी) ने जूनियर जूडोका जितेश डागर को पिछले साल चयन ट्रायल के दौरान डोपिंग से बचने के मामले में दोषमुक्त करार दिया।

नाडा के डोप नियंत्रण अधिकारी (डीसीओ) इस आरोप को साबित करने में विफल रहे। जितेश पर आरोप लगा था उसने 13 जून 2019 को भोपाल में आयोजित हुए एशिया ओसेनिया एवं जूनियर जूडो चैम्पियनशिप ट्रायल के दौरान वह डोप परीक्षण के लिए मौजूद नहीं थे।

सनी चौधरी की अध्यक्षता वाली नाडा एडीडीपी ने कहा कि इस बात के कोई निर्णायक सबूत नहीं हैं कि डोप नियंत्रण अधिकारियों ने जुडोका को सूचित किया था कि उन्हें अपना नमूना उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। इस समिति में कर्नल (डॉ) आरके चेंगप्पा और कुलदीप हांडू भी शामिल थे।

डागर के वकील पार्थ गोस्वामी ने बुधवार को पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘ डीसीओ की रिपोर्ट उस पैनल को संतुष्ट करने में नाकाम रही कि उन्होंने प्रतियोगिता के बाद एथलीट से संपर्क किया था लेकिन एथलीट ने नमूना नहीं दिया।’’

उन्होंने अपने मुवक्किल का बचाव करते हुए कहा, ‘‘एथलीट को परीक्षण के लिए कभी भी संपर्क या सूचित नहीं किया गया था और इसलिए डोप परीक्षण करने का सवाल ही नहीं था।’’

नाडा ने इस खिलाड़ी पर एडीआरवी (डोपिंग रोधी नियम उल्लंघन) की घारा 2.3 के तहत आरोप लगाया था जिसमें डोप टेस्ट से बचने के लिए चार साल के निलंबन की सजा का प्रावधान है।

भाषा आनन्द पंत

पंत