ओलंपिक की निराशा के बाद फिटनेस और मानसिक स्पष्टता से वापसी में मदद मिली: लक्ष्य

ओलंपिक की निराशा के बाद फिटनेस और मानसिक स्पष्टता से वापसी में मदद मिली: लक्ष्य

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  • Publish Date - November 25, 2025 / 06:24 PM IST,
    Updated On - November 25, 2025 / 06:24 PM IST

नयी दिल्ली, 25 नवंबर (भाषा) ऑस्ट्रेलियाई ओपन चैंपियन बने लक्ष्य सेन ने कहा कि पेरिस ओलंपिक में चौथे स्थान पर रहने की निराशा ने उनका मनोबल तोड़ा था लेकिन शारीरिक फिटनेस और मानसिक स्पष्टता पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने से उन्हें बैडमिंटन के प्रति अपने लगाव को फिर से जगाने में मदद मिली।

अल्मोड़ा के इस 24 वर्षीय खिलाड़ी को पेरिस से लौटने के बाद काफी मुश्किल दौर से गुजरना पड़ा।

लक्ष्य ने सिडनी से घर लौटने के बाद लक्ष्य ने चुनिंदा मीडिया से कहा, ‘‘ओलंपिक में निराशा के बाद कड़ी मेहनत करने के लिए खुद को प्रेरित करना थोड़ा मुश्किल था। मैंने कुछ समय के लिए ब्रेक लिया लेकिन वापसी पर भी मैं अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ मै कई टूर्नामेंटों के शुरुआती दौर में ही बाहर हो गया। मैं मानसिक रूप से बहुत सी चीजों से निपट रहा था और पूरी तरह से फिट नहीं होने के बावजूद कुछ टूर्नामेंटों में प्रतिस्पर्धा कर रहा था।’’

लक्ष्य को पीठ की मांसपेशियों की खिंचाव से निपटने और फिटनेस हासिल करने के लिए अस्पताल के साथ ऑस्ट्रिया के साल्जबर्ग स्थित एथलीट परफॉर्मेंस सेंटर में समय बिताना पड़ा। वह शारीरिक परेशानियों के साथ मानसिक थकान से भी जूझ रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘पूरे साल मेरे मन में बहुत सी बातें और बहुत सारी शंकाएं थीं। मेरी ट्रेनिंग और टूर्नामेंटों में खेलने को लेकर बहुत सारे लोगों के विचार काफी अलग-अलग थे। मेरे लिए ऐसे में सभी चीजों को पीछे छोड़कर खुद पर विश्वास करना जरूरी था कि मैं सही चीजें कर रहा हूं।’’

लक्ष्य ने कहा कि बदलाव तब शुरू हुआ जब उन्होंने नतीजों पर ध्यान देने की जगह अभ्यास के दौरान छोटी-छोटी बारीकियों पर ध्यान केंद्रित किया।

मानसिक प्रशिक्षक मोन ब्रॉकमैन सहित उनके कोचिंग टीम के सदस्यों ने उनके खेल में फिर सुधार करने में काफी मदद की।

लक्ष्य ने कहा, ‘‘ मैं पिछले एक साल से सिर्फ छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं और नतीजों के बारे में अधिक नहीं सोच रहा हूं। जब मैंने अपने मानसिक प्रशिक्षक (ब्रॉकमैन) के साथ काम करना शुरू किया, तो मुझे लगता है कि यह जरूरी था कि मैं फिर सफलता के लिए प्रेरित रहूं।’’

उन्होंने कहा कि यह बदलाव तब आया जब उन्होंने स्वीकार किया कि सुधार में समय लगेगा।

लक्ष्य ने कहा, ‘‘पेरिस के पांच महीने बाद मैं वास्तव में अच्छी स्थिति में था, लेकिन फिर से मैंने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। मैं बहुत दबाव या पिछली कुछ हार का बोझ महसूस कर रहा था। इसलिए एक समय ऐसा आया जब मुझे सचमुच आराम से बैठना पड़ा और सोचना पड़ा कि अगर मुझे 20 टूर्नामेंट और खेलने पडें, तो मैं इसके लिए तैयार हूं।’’

लक्ष्य ने कहा कि उन्होंने खुद को प्रतिस्पर्धी बनाये रखने के लिए अपने शॉट-मेकिंग कौशल को बेहतर बनाने पर काम किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘सीनियर सर्किट में लगभग तीन-चार साल हो गए हैं और लोग आपके खेल को पढ़ना शुरू कर देते हैं। मेरे कोच (यू योंग सोंग) ने मुझसे कहा था कि आपको नेट से थोड़ी और विविधता लानी होगी। शायद शॉट्स पर थोड़ी पकड़ बनानी होगी।’’

लक्ष्य ने कहा, ‘‘ मैंने ऐसे में खेल के तकनीकी पहलू पर बहुत काम किया। मैं अपनी रणनीतिक या तकनीकी चीजों को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं हूं। बस कुछ चीजों को और बेहतर बनाने पर ध्यान दे रहा हूं। अगर हुनर है, तो वह जाता नहीं है।’’

भाषा आनन्द मोना

मोना