विदेशी हस्तियों के प्रदर्शन का समर्थन करने में आपत्ति नहीं; रिहाना, ग्रेटा को नहीं जानता : राकेश टिकैत
विदेशी हस्तियों के प्रदर्शन का समर्थन करने में आपत्ति नहीं; रिहाना, ग्रेटा को नहीं जानता : राकेश टिकैत
गाजियाबाद (उप्र), पांच फरवरी (भाषा) केन्द्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनने को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत को कोई आपत्ति नहीं है।
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दिल्ली से लगी सीमओं पर आंदोलन की अगुवाई कर रहे भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत (51) ने पॉप स्टार रिहाना और पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थैनबर्ग जैसी अंतरराष्ट्रीय हस्तियों द्वारा आंदोलन के समर्थन का स्वागत किया, लेकिन साथ ही कहा कि वह उन्हें नहीं जानते हैं।
अंतरराष्ट्रीय हस्तियों के किसान प्रदर्शन का समर्थन करने के सवाल पर दिल्ली-उत्तर प्रदेश की सीमा पर गाजीपुर में बृहस्पतिवार को उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘‘ ये अंतरराष्ट्रीय कलाकार कौन हैं?’’
उन्हें जब पॉप स्टार रिहाना, पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग, वयस्क फिल्मों की अदाकारा मियां खलीफा के बारे में बताया गया तो टिकैत ने कहा, ‘‘ उन्होंने हमारा समर्थन किया होगा लेकिन मैं उन्हें नहीं जानता।’’
टिकैत ने कहा, ‘‘ अगर कुछ विदेशी हमारे आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं तो इसमें क्या पेरशानी है। वे हमसे ना कुछ ले रहे हैं और ना कुछ दे रहे हैं।’’
गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों से मिलने की असफल कोशिश करने वाले 15 सांसदों के बारे में भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि सांसदों को पुलिस ने जहां रोका उन्हें वहीं जमीन पर बैठ जाना चाहिए था।
उन्होंने कहा, ‘‘ यहां अवरोधक लगाए गए हैं। वे आना चाहते थे, लेकिन उन्हें वहीं बैठ जाना चाहिए था। वे उस ओर बैठ जाते और हम अवरोधक के इस ओर बैठ जाते।’’
टिकैत ने कहा कि उनकी गाजीपुर आए 15 सांसदों में से किसी से कोई बात नहीं हुई।
शिअद, द्रमुक, राकांपा और तृणमूल कांग्रेस समेत दस विपक्षी दलों के 15 सांसद गाज़ीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों से मिलने पहुंचे थे लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी गई।
गौरतलब है कि भारत के विदेश मंत्रालय ने किसानों के प्रदर्शन पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया पर बुधवार को कड़ी आपत्ति जताई थी। भारत ने कहा था कि भारत की संसद ने एक ‘‘सुधारवादी कानून’’ पारित किया है, जिस पर ‘‘किसानों के एक बहुत ही छोटे वर्ग’’ को कुछ आपत्तियां हैं और वार्ता पूरी होने तक कानून पर रोक भी लगाई गई है।
कृषि कानूनों को निरस्त करने, फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी देने तथा दो अन्य मुद्दों को लेकर हजारों किसान दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर डटे हुए हैं।

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