छत्तीसगढ़ में इस बार औसत से अच्छी बारिश हुई है. ख़ासकर बस्तर संभाग में इस बार जमकर मेहरबान रहा मानसून. लेकिन अच्छी वर्षा की ख़बरों के बीच ही 4 से ज्यादा जिलों में सूखे की आहट सुनाई दे रही है । प्रदेश की 42 तहसीलों में अगर अगले दो हफ्ते और बारिश नहीं हुई तो खरीफ की फसल चौपट होना तय है.
पेशानी पर बल, चेहरे मुरझाए हुए और आंखों से गुम होती उम्मीदों की रोशनी ये त्रासदी है. छत्तीसगढ़ के उन सैकड़ों गांवों की. जहां अच्छे दिनों वाले मानसून में भी सूखा तांडव कर रहा है । इंतजार लंबा खीच रहा है. पर बूंदाबांदी से ज्यादा कुछ नहीं हो रहा. जितनी चाहिए. उससे बेहद कम बरसात हो रही है ।
ऐसे में बुआई तो किसी तरह हो गई..पर रोपाई और बियासी अटक गई है । रायपुर, बलौदाबाज़ार, दुर्ग और बेमेतरा जैसे मैदानी ज़िले तगड़ी खेती के लिए जाने जाते हैं लेकिन इस साल इन्हीं ज़िलों में मानसून ने कंजूसी कर दी है । इस कंजूसी का असर खेतों में दिख रहा है खरीफ का काम पिछड़ने लगा है और किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है ।
राज्य में 42 ऐसी तहसीलों की पहचान हुई है. जहां 61 से 80 फीसदी तक बारिश हुई है. वहीं इनमें से 9 तहसीलें ऐसी हैं. जहां 41-60 फीसदी तक वर्षा हुई है. यानी इन तहसीलों में करीब 40-60 फीसदी तक कम बरसात दर्ज की गई है । हालांकि कृषि विभाग को उम्मीद है कि अगले दो चार दिनो में अच्छी बारिश हो जाएगी। विभाग ने बारिश नहीं होने पर किसानो को नए सिरे से बोनी के लिए बीज और खाद उपलब्ध कराने का इंतजाम भी कर लिया है।
किसान अब उम्मीद भरी नज़रों से सरकार की ओर देख रही है. समस्या ये है कि उन्हें इस आपद स्थिति में सिंचाई के लिए बांधों से पानी मिलना भी मुश्किल ही है क्योंकि इस बार प्रभावित तहसीलों के जलाशय भी प्यासे हैं ।