ग्वालियर के शताब्दीपुरम और दीनदयाल नगर समेत कई इलाकों में जीडीए ने लोगों को जिस जमीन की रजिस्ट्री की.. उस पर कब्जा किसी और का है..और लोग पहले से ही मकान बना कर रह रहे हैं.. दरअसल 8 गृह निर्माण समितियों ने जीडीए को जमीन का हस्तांतरण किया ही नहीं.. और इधर जमीन बेचकर जीडीए लोगों से पैसा ले चुका है। मध्यप्रदेश हाउसिंग सोसाइटी के नियम के मुताबिक सोसाइटी जमीन खरीदकर जीडीए को विकास करने के लिए देती है। जीडीए उतनी ही जमीन कॉलोनी के रूप में विकसित कर वहीँ या बदले में दूसरी जगह उपलब्ध कराती है.. शिकायतें आई हैं कि कॉलोनाइजर ने अपनी जमीन जीडीए को दी नहीं, उल्टे जीडीए के प्लॉट बेचकर कॉलोनियां बसवा दीं। दोनों ने मिलकर एक ही जमीन दो-दो लोगों को बेच दी। लोग परेशान हैं कि पैसा देने के बाद भी उन्हें प्लॉट पर कब्जा नहीं मिल रहा..
खुलासा हुआ है कि इन समितियों ने जमीन के दस्तावेज बैंक गारंटी में इस्तेमाल कर लोन निकाला.. जिसके चलते जमीनों का हस्तांतरण व नामांतरण जीडीए को नहीं किया गया। अब लोगों के साथ हुए छल को लेकर कांग्रेस सरकार को घेर रही है। वहीं, 8 सोसाइटियों को नोटिस दिया है.. और इनसे पैसे वसूली और कानूनी कार्रवाई की तैयारी में है। मामला बढ़ता देख अब जीडीए के अधिकारी अपना बचाव करने में जुट गए हैं।
इधर खबर है कि जीडीए की बेशकीमती जमीन निगलकर आठों समितियों के संचालक फरार हैं.. हितग्राही सालों से ठोकर खा रहे हैं.. और सबसे हैरान करने वाली बात ये.. कि भ्रष्टाचार के इतने बड़े खेल में ऐसी सभी समितियों का रिकॉर्ड खुद जीडीए के ही पास नहीं है।