भोपाल: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से एक बड़ी खबर सामने आई है। खबर मिल रही है कि शनिवार शाम पूर्व सीएम बाबूलाल गौर की तबियत बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। फिरहाल डॉक्टर अभी उनका उपचार जारी है।
जानिए कौन हैं बाबूलाल गौर, कैसा है उनका राजनीतिक कॅरियर
2 जून 1930 को उत्तर प्रदेश में जन्मे बाबूलाल गौर ने भोपाल की पुट्ठा मिल में मजदूरी करते हुए पढ़ाई की। इसके बाद उन्हें भेल में नौकरी मिल गई। गौर भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक थे और यहां काम करते हुए उन्होंने श्रमिक आंदोलन में भाग लिया। वे स्कूल के दिनों से ही संघ से जुड़ गए थे, लेकिन ट्रेड यूनियनों में उनकी सक्रियता ज्यादा रही। इसी बीच दोस्तों की मदद से गौर 1972 में गोविंदपुरा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार रूप में चुनावी मैदान में उतरे और भारी मतों से जीत दर्ज की।
गौर 1977 से लगातार चुनावों में गोविन्दपुरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और वहां से चुनाव जीतते रहे हैं। इस बीच 1993 के विधानसभा चुनाव में 59 हजार 666 मतों के अंतर से विजय प्राप्त कर बाबूलाल गौर ने रिकार्ड बनाया और 2003 में अपने ही रिकॉर्ड को 2003 में तोड़ा। बाबूलाल गौर सात मार्च 1990 से 15 दिसंबर 1992 तक मप्र के स्थानीय शासन, विधि एवं विधायी कार्य, संसदीय कार्य, जनसंपर्क, नगरीय कल्याण, शहरी आवास तथा पुनर्वास एवं भोपाल गैस त्रासदी राहत मंत्री रहे।
इमरजेंसी के बाद 1977 के विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी ने उन्हें भोपाल दक्षिण से टिकट दिया था। इस सीट पर वे 19 हजार के करीब वोटों से जीते थे। 1980 के विधानसभा चुनाव में गौर की वापसी गोविंदपुरा सीट पर हुई। बीजेपी ने उन्हें टिकट दिया गौर ने इस सीट से चुनाव जीतकर हैट्रिक बना दी।
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1980 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद गोविंदपुरा विधानसभा सीट और बाबूलाल गौर एक-दूसरे के पर्याय बन गए। गौर ने 2003 में कांग्रेस के शिवकुमार उरमलिया को रिकार्ड मतों से हराया था। इस चुनाव में गौर की लीड 64 हजार 212 की रही थी। विधानसभा में मध्य प्रदेश के चुनावी इतिहास में यह जीत सबसे बड़ी जीत के तौर पर दर्ज हुई।
एक बड़ा दिलचस्प वाकया बाबूलाल गौर के साथ 2003 के चुनाव में जुड़ा हुआ था, बताया जाता है कि उनका टिकट करीब-करीब कट गया था। केंद्रीय चुनाव समिति के अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी ने जब उनके पिछले रिकार्ड को देखा तो उनके हस्तक्षेप से बाबूलाल गौर को फिर से टिकट मिल गया। इतना ही नहीं इस दौरान बाबूलाल गौर ही मुख्यमंत्री बने। वे 23 अगस्त 2004 से 29 नवंबर 2005 तक वे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।