पीएम मोदी ने स्थानीय विधाओं पर पाठ्यक्रम तैयार करने दिया सुझाव, विशिष्ट उत्पादों को वैश्विक स्तर दिलाई जा सकती है पहचान

पीएम मोदी ने स्थानीय विधाओं पर पाठ्यक्रम तैयार करने दिया सुझाव, विशिष्ट उत्पादों को वैश्विक स्तर दिलाई जा सकती है पहचान

पीएम मोदी ने स्थानीय विधाओं पर पाठ्यक्रम तैयार करने दिया सुझाव, विशिष्ट उत्पादों को वैश्विक स्तर दिलाई जा सकती है पहचान
Modified Date: November 29, 2022 / 08:33 pm IST
Published Date: November 25, 2020 2:42 pm IST

लखनऊ, 25 नवम्बर (भाषा) । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लखनऊ विश्वविद्यालय को अपने शैक्षणिक दायरे वाले जिलों की स्थानीय विधाओं से जुड़े विशेष पाठ्यक्रम तैयार करने और हर जिले के विशिष्ट उत्पादों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिये नये सिरे से शोध करने का सुझाव दिया।

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प्रधानमंत्री ने लखनऊ विश्वविद्यालय (एलयू) के शताब्दी समारोह के मौके पर कहा ”इस विश्वविद्यालय ने देश को समय-समय पर काफी कुछ दिया है, लेकिन मेरा सुझाव है कि जिन जिलों तक आपका शैक्षणिक दायरा है वहां की स्थानीय विधाओं, वहां के स्थानीय उत्पादों से जुड़े पाठ्यक्रम, उनकी हर बारीकी से विश्लेषण का कार्यक्रम हमारी यूनिवर्सिटी में क्यों ना हो। उन उत्पादों के उत्पादन से लेकर उनके मूल्यवर्धन के लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी पर अनुसंधान भी हमारी यूनिवर्सिटी कर सकती है।”

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उन्होंने कहा ”लखनऊ की चिकनकारी, अलीगढ़ के ताले, मुरादाबाद के पीतल के बर्तन और भदोही के कालीन…. ऐसे अनेक उत्पादों को हम वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी कैसे बनाएं, इसको लेकर नए सिरे से काम, नए सिरे से अध्ययन, नए सिरे से अनुसंधान क्या हम नहीं कर सकते हैं… हां जरूर कर सकते हैं। इससे सरकार को भी अपने नीति निर्धारण में बहुत बड़ी मदद मिल सकती हैं और तभी एक जिला एक उत्पाद की भावना सच्चे अर्थ में साकार होगी।”

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मोदी ने कहा ”इसके अलावा हमारी कला, संस्कृति और अध्यात्म से जुड़े विषयों की पूरी दुनिया में पहुंच बनाने के लिए भी हमें निरंतर काम करना होगा। भारत की सॉफ्ट पावर अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत की छवि मजबूत करने में बहुत सहायक है। विश्वविद्यालय सिर्फ उच्च शिक्षा का केंद्र भर नहीं हो सकता, यह ऊंचे लक्ष्य नीचे संकल्पों को साधने की शक्ति को हासिल करने का भी एक बहुत बड़ा पावर हाउस होता है।’’

प्रधानमंत्री ने एलयू के छात्रों और शिक्षकों का आह्वान करते हुए कहा ”मैं लखनऊ यूनिवर्सिटी से आग्रह करूंगा कि वर्ष 2047 में जब देश अपनी आजादी के 100 साल मनाएगा, तब लखनऊ यूनिवर्सिटी कहां होगी, इस पर मंथन करें। तब तक लखनऊ यूनिवर्सिटी ने देश को और क्या-क्या दिया होगा, बड़े संकल्प के साथ नए हौसले के साथ जब आज आप शताब्दी मना रहे हैं तो बीते हुए दिनों की गाथाएं आने वाले दिनों के लिए प्रेरणा बननी चाहिए। यह समारोह 100 साल की स्मृति तक सीमित ना रहे।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि 100 वर्ष का समय सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है, इसके साथ अपार उपलब्धियों का एक जीता-जागता इतिहास जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि मुझे जब भी लखनऊ यूनिवर्सिटी से पढ़कर निकले लोगों से बात करने का मौका मिला है, यूनिवर्सिटी की बात निकले और उनकी आंखों में चमक ना हो, ऐसा कभी मैंने देखा नहीं।

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उन्होंने कहा ”यूनिवर्सिटी में बिताए दिनों की बातें करते करते वह बहुत उत्साहित हो जाते हैं तभी तो लखनऊ हम पर फिदा, हम फिदा-ए-लखनऊ का मतलब और अच्छे से समझ आता है। लखनऊ यूनिवर्सिटी की आत्मीयता, यहां की रूमानियत भी कुछ और ही है। यहां के छात्रों के दिल में टैगोर लाइब्रेरी से लेकर अलग-अलग कैंटीन के चाय, समोसे और बन-मक्खन अब भी अपनी जगह बनाए हुए हैं। अब बदलते समय के साथ बहुत कुछ बदल गया है लेकिन लखनऊ यूनिवर्सिटी का मिजाज लखनवी ही है।”


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