गैंगस्टर अबू सलेम पर उपन्यास लिखने वाले राज्य के अफसर ने किया रंगभेद का खुला समर्थन, बोले ‘कम आईक्यू होने से मुस्लिम बनते हैं आतंकी’

गैंगस्टर अबू सलेम पर उपन्यास लिखने वाले राज्य के अफसर ने किया रंगभेद का खुला समर्थन, बोले 'कम आईक्यू होने से मुस्लिम बनते हैं आतंकी'

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  • Publish Date - July 6, 2020 / 08:12 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:56 PM IST

भोपाल। गैंगस्टर अबू सलेम पर उपन्यास लिखने वाले अफसर एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं, प्रशासनिक अफसर नियाज़ खान ने अपने नए उपन्यास में रंगभेद का समर्थन किया है। उन्होने कहा कि कम IQ होने की वजह से मुस्लिम आतंकी बनते हैं, साथ ही यह भी कहा कि गोरी चमड़ी वाले दिमागी होते हैं और काली चमड़ी वालों की बुद्धि कम होती है। नियाज़ खान के इस उपन्यास का नाम ‘वन्स आई वाज़ ब्लैक’ है। नियाज़ खान ने ये भी लिखा कि रंगभेद नफरत के बजाय पूजा के योग्य है।

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बता दें कि अंडर वर्ल्ड डॉन अबू सलेम की प्रेमकथा लिखने के मामले में मशहूर हुए राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी नियाज खान पिछले साल उस समय चर्चा में आए थे जब वे अपना नाम बदलना चाहते हैं। वे अपनी नई किताब के लिए छह माह तक अपना नया नाम तलाशते रहे थे। उन्होंने ट्विटर के जरिए अपनी ये मंशा जाहिर की थी।

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नियाज खान (Niyaz khan) ने अब अपना छठा नावेल ONCE I WAS BLACK MAN रविवार को ऑनलाइन लांच किया गया, फिल्म लेखक और निर्देशक रूमी जाफरी ने इस किताब को लांच किया, उन्होंने अपने नावेल के माध्यम से दुनिया में श्वेत और अश्वेत नस्लों का मुद्दा उठाते हुए श्वेत को सर्वश्रेष्ठ बताया है। नावेल इस बात पर जोर देता है कि इंसान के त्वचा के रंग का उसके दिमाग की ताकत के साथ सीधा संबंध है। दुनिया में सबसे ज्यादा दिमाग श्वेतों (गोरों) के पास होता है इसलिए वे वैज्ञानिक आविष्कार कर पाते हैं।

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अश्वेतों में (कालो) में दिमाग की शक्ति (आईक्यू) कम होता है और इसलिए वे वैज्ञानिक आविष्कार खोज एवं शोध नहीं कर पाते, अश्वेतों का कुछ भी अपना नहीं है, सुई से लेकर आज तक सभी चीजें श्वेतों ने दी है। नियाज लिखते हैं कि रंगभेद नफरत के लिए नहीं बल्कि पूजा के योग्य है और इसे साल में त्यौहार की तरह मनाया जाना चाहिए। किताब में लिखा है कि श्वेत विज्ञान पैदा करते हैं एवं अश्वेत आबादी बढ़ाते हैं, श्वेत एवं अश्वेतों मैं दिमागी ताकत में बहुत अंतर होने के कारण दुनिया के समाज को श्वेत और अश्वेत समाज में बांट देना चाहिए।

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किताब में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय संगठन जैसे संयुक्त राष्ट्र संघ, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय एवं अन्य संस्थाओं को गोरे काले के आधार पर विभाजित कर दिया जाना चाहिए, अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जैसे नोबेल पुरस्कार, ऑस्कर अवॉर्ड, पुलित्जर अवार्ड बुकर प्राइस आदि को गोरों को दे देना चाहिए, काले अपनी व्यवस्था अलग से कर लेंगे। किताब में श्वेत एवं अश्वेत के बीच विवाह पर भी हमला करते हुए कहा गया है कि श्वेत एवं अश्वेत से शादी महापाप है, गौरी सरकारें ऐसी शादियों को तुड़वाने तत्काल कार्यवाही करें, किताब में कहा गया है कि श्वेत, श्वेत के साथ शादी करें और अश्वेत, अश्वेत के साथ।

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लेखक का मानना है कि समाज का भला समाज को तोड़ने में है ना कि जोड़ने में, इसलिए विश्व की सभी संस्थाएं गोरे एवं कालों के बीच में विभाजित कर देनी चाहिए, किताब में लिखा है कि अगर आपने काले देश में जन्म ले लिया तो आपका पूरा जीवन खराब हो जाता है या तो आप भ्रष्टाचार करेंगे या भ्रष्टाचार सहेंगे, लेखक का स्पष्ट मानना है कि गोरा, गोरे देश में रहे और काला काले देश में, आगे लिखा गया है कि मानव जन्मजात खराब होता है परंतु अश्वेत सबसे ज्यादा खराब होते हैं, किताब में 12 तरह की बुराइयां बताई गई है जिनके निवास के लिए उत्तम जगह अश्वेत चमड़ी होती है, पुस्तक में लिखा गया है कि दुनिया का इतिहास श्वेत देशों का इतिहास है काले देशों का कोई इतिहास नहीं होता।

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पुस्तक में लिखा गया है कि काले देशों के शब्द को से इमानदारी और विज्ञान शब्द निकाल देना चाहिए क्योंकि काले देशों में ईमानदारी नहीं होती एवं विज्ञान शब्द गोरी चमड़ी से जुड़ा है। किताब में यहूदियों की जमकर तारीफ की गई है और बताया गया है कि अश्वेत देशों में केवल यहूदी ही गोरों के बराबर हैं। अश्वेत गंदे वातावरण में रहना पसंद करते हैं इसलिए सभी अश्वेत देशों में हर जगह गंदगी का ढेर लगा हुआ है पुस्तक में बताया गया है कि मुस्लिमों के पास सबसे कम दिमागी ताकत (आई क्यू) होता है इसीलिए आतंकवाद इस्लामिक देशों में चरम सीमा पर है।