भोपाल। विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड जानने आज हम पहुंचे हैं गोविंदपुरा विधानसभा। भोपाल जिले में आने वाली इस सीट का जब भी नाम लिया जाता है तो एक ही चेहरा सामने आता है। वे है 88 साल के बाबूलाल गौर, जो पिछले 44 सालों से गोविंदपुरा विधानसभा सीट से विधायक हैं। प्रदेश में मुख्यमंत्री बदले लेकिन 1974 के बाद से गोविंदपुरा का विधायक नहीं बदला। बावजूद इसके विकास के मामले में गोविंदपुरा का नंबर भोपाल की सभी शहरी विधानसभा क्षेत्र में आखिरी पायदान पर आता है। आलम ये है कि आज भी यहां सड़क, स्वास्थ्य, बिजली और पानी जैसे मुद्दों पर ही चुनाव लड़े जाते हैं।
ये तस्वीर है राजधानी भोपाल की गोविंदपुरा विधानसभा की, जहां की जनता ने 44 साल तक एक ही नेता पर अपना भरोसा किया। इतना ही नहीं इस विधानसभा ने शहर को महापौर तो प्रदेश को मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री भी दिया। लेकिन इन सबके बावजूद क्षेत्र की तस्वीर नहीं बदली। हालात ऐसे हैं कि राजधानी भोपाल के अंतर्गत आने वाली इस विधानसभा क्षेत्र में एक भी सरकारी अस्पताल नहीं है। स्कूल शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा की स्थिति भी बदहाल है। केंद्र सरकार की यूनिट बीएचईएल को छोड़ दिया जाए तो गोविंदपुरा में उद्योग बढ़ने के बजाय यहां का इंडस्ट्रियल एरिया दम तोड़ रहा है। यही वजह है कि विधायक को लेकर जनता में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
दूसरी बुनियादी सुविधाओं की बात करें तो गोविंदपुरा की सड़कों की हालत सबसे ज्यादा जर्जर हैं। महापौर कृष्णा गौर के समय बना भोपाल का पहला मॉडल रोड जिसे जेके रोड के नाम से जाना जाता है। उसकी हालत भी खस्ताहाल हो चुकी है। इसके अलावा करीब 70 कालोनियों में अभी भी पहुंच मार्ग नहीं हैं। यानी आने वाले चुनाव में विपक्ष के पास मुद्दों की कमी नहीं है और वो भरपूर कोशिश कर रहे है कि उन मुद्दों को उठाकर वो जनता का दिल जीत लें।
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कांग्रेस के नेता भले विधायक पर विकास नहीं करने का आरोप लगा रहे हैं, लेकिन बाबूलाल गौर क्षेत्र में विकास के नाम पर भोपाल में किए गए कामों की सूची गिना रहे हैं। गौर का तर्क है कि उनकी विधानसभा भले ही गोविंदपुरा रही हो। मगर उनका फोकस पूरे भोपाल पर रहा।
बाबूलाल गौर विकास का दावा तो करते हैं लेकिन अपने विधानसभा में विकास की उपलब्धियों के नाम पर केंद्र सरकार की योजनाएं ही हैं। गौर ये बात खुद भी जानते हैं तभी तो जब भी विकास की बात होती है तो उनका फोकस अपनी विधानसभा से हटकर पूरे भोपाल पर चला जाता है।
पिछले 44 साल से मध्य प्रदेश में कई मर्तबा मुख्यमंत्री से लेकर सरकारें बदलीं, लेकिन गोविंदपुरा की जनता ने नहीं बदला तो वो है अपना नेता। भरोसा ऐसा कि तीन-चार बार नहीं बल्कि एक ही सीट से लगातार 10 बार विधायक बनाकर अनूठा रिकॉर्ड बना दिया। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस यहां बाबूलाल के सामने आज तक कोई ऐसा मजबूत उम्मीदवार खड़ा नहीं कर पाई, जो उन्हें चुनौती दे सके।
दूजा नहीं कोई ठौर, बाबूलाल गौर। राजधानी भोपाल की गोविंदपुरा विधानसभा सीट पर ये जुमला अब तक एकदम सटीक बैठता आया है। देश या प्रदेश में चुनावी हालात कैसे भी हों। सियासी समीकरण बदल गए हों। टिकट को लेकर धमासान क्यों न मचा हो। लेकिन गोविंदपुरा विधानसभा से टिकट तो बाबूलाल गौर का ही पक्का है। ऐसा खुद बाबूलाल गौर नहीं बल्कि अब तक बीजेपी के साथ कांग्रेस तक मानती आई है। तभी तो दस बार के विधायक और 88 साल के बाबूलाल एक फिर कह रहे हैं कि एक बार और बाबूलाल गौर। उनका कहना है कि कर्म करते जाओ, सेवा की मेवा तो बाद में ही मिलेगी।
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गोविंदपुरा के सियासी इतिहास की बात की जाए तो बाबूलाल गौर यहां पहली बार 1974 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे थे और तीर-कमान चुनाव चिन्ह से चुनाव लड़कर पहली बार में ही जीत हासिल की। इसके बाद 1998 के चुनाव में बाबूलाल गौर ने कांग्रेस के करनैल सिंह को हराया। 2003 में उन्होंने कांग्रेस के शिवकुमार उरमलिया को शिकस्त दी। वहीं 2008 के चुनाव में बाबूलाल गौर ने कांग्रेस की विभा पटेल को हराकर विधानसभा पहुंचे। 2013 में गौर फिर बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े। इस बार उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी गोविंद गोयल को हराया। इस चुनाव में बीजेपी को जहां 1 लाख 16 हजार 586 वोट मिले। वहीं कांग्रेस महज 45 हजार 942 वोट ले सकी। जीत का अंतर 70 हजार 644 रहा।
अब जब 2018 का सियासी महासमर नजदीक है तो बाबूलाल गौर 11वीं बार चुनाव मैदान में ताल ठोंकने के लिए तैयार है। 88 साल की उम्र में भी चुस्त-दुरुस्त नजर आ रहे गौर का कहना है कि अकेले विकास से वोट नहीं मिला करते। चुनाव में विकास से ज्यादा आपका व्यवहार देखा जाता है।
पूर्व मुख्यंत्री बाबूलाल गौर के अभेद किले को भेदने के लिए हर बार कांग्रेस ने ऐढ़ी-चोटी का जोर लगाया। कभी स्थानीय तो कभी बाहरी प्रत्याशी को मैदान में उतारा।. लेकिन हर बार कांग्रेस को कड़ी शिकस्त खानी पड़ी। कांग्रेस इस बार फिर विकास के मॉडल पर बीजेपी को चैलेंज करने की तैयारी में है वहीं बीजेपी में भी इस बार बाबूलाल गौर के अलावा संभावित उम्मीदवारों की लंबी लिस्ट सामने है। यानी मौजूदा विधायक की राह इस बार इतनी आसान नजर नहीं आती।
पहली बार 1974 में तीर कमान, इसके बाद जनता पार्टी और फिर भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ते आ रहे बाबूलाल गौर एक बार फिर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है और न सिर्फ ऐलान बल्कि चुनाव के मद्देनजर सक्रिय भी हो गए हैं। पार्टी की गाइड लाइन और कायदे-कानून अपनी जगह हैं। लेकिन बाबूलाल गौर ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है।
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बाबूलाल गौर के अलावा सीट पर बीजेपी से ही दर्जनभर नेताओं ने दावेदारी ठोक दी है। हालांकि प्रमुख दावेदार गिने-चुने ही हैं। गौर के उत्तराधिकारी के रूप में पहला नाम उनकी ही पुत्रवधू यानी कृष्णा गौर का बताया जा रहा है। गौर जब नगरीय प्रशासन मंत्री थे। तब कृष्णा गौर भोपाल की महापौर बनकर परिवार की राजनीतिक बिसात को आगे बढ़ा चुकी हैं। इसके अलावा गोविंदपुरा क्षेत्र में चल रही बीजेपी की विकास यात्रा की कमान भी खुद कृष्णा गौर संभाली हुई हैं। लिहाजा कृष्णा ने भी गोविंदपुरा सीट से चुनाव लड़ने की ताल ठोक दी है।
कृष्णा गौर की तरह बीजेपी के दूसरे नेताओं ने भी पहली बार दमदारी के साथ अपना दावा पेश कर रहे हैं। पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष तपन भौमिक, महापौर आलोक शर्मा, वरिष्ठ बीजेपी नेता मनोरंजन मिश्रा और शिवसेना से बीजेपी में शामिल हुए संजय सक्सेना। गोविंदपुरा से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में भी टिकट के संभावित उम्मीदवारों की लंबी लिस्ट है। इसमें सबसे पहला नाम रामबाबू शर्मा का है, जिनकी व्यापारियों में अच्छी पकड़ है। वहीं 2013 में बाबूलाल गौर से परास्त हो चुके गोविंद गोयल भी टिकट की मांग कर रहे हैं। इन दोनों के अलावा पूर्व महापौर विभा पटेल, पक्षकुमार खामरा, प्रदीप शर्मा, किशन राजपूत, जेपी धनोपिया और महेश मालवीय भी टिकट की रेस में शामिल हैं।
कांग्रेस की अपनी तैयारी है, साथ ही इस बार गौर की परंपरागत सीट पर उनकी ही पार्टी के नेताओं की नजरें गढ़ी हुई हैं। लेकिन बाबू लाल गौर हैं कि ग्यारहवीं बार जीतकर अपना ही रिकॉर्ड तोड़ने का दावा कर रहे हैं और इसी रिकॉर्ड के लिए वो टिकट की मांग कर रहे हैं। उम्र का तकाजा देकर बीजेपी पहले ही बाबूलाल गौर से मंत्री पद छीन चुकी है। गोविंदपुरा से बीजेपी के दूसरे दावेदारों ने भी पहली बार खुले तौर पर गोविंदपुरा से टिकिट की मांग कर डाली है। पीसीसी चीफ कमलनाथ की सीधी नजर भी बीजेपी के गढ़ यानी गोविंदपुरा सीट पर है। चारों ओर से बन रहे विपरीत समीकरण के बाद भी गौर ग्यारहवीं बार यहां से टिकिट की दावेदारी कर रहे हैं और नारा दे रहे हैं कि एक बार और बाबूलाल गौर।
वेब डेस्क, IBC24