भोपाल दक्षिण-पश्चिम विधानसभा के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड, देखिए क्या कहती है जनता

भोपाल दक्षिण-पश्चिम विधानसभा के विधायकजी का रिपोर्ट कार्ड, देखिए क्या कहती है जनता

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  • Publish Date - June 4, 2018 / 03:03 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:17 PM IST

भोपाल। विधायकजी के रिपोर्ट कार्ड में आज बारी है मध्यप्रदेश के भोपाल दक्षिण पश्चिम सीट के विधायक की। राजधानी भोपाल की दक्षिण पश्चिम सीट मध्यप्रदेश का वो विधानसभा क्षेत्र रहा है जो हाईप्रोफाइल सीटों में से एक है। शिवराज कैबिनेट में कद्दावर मंत्री उमाशंकर गुप्ता बीते 15 सालों से यहां चुनाव जीत रहे हैं। इस सीट पर अधिकांश समय बीजेपी का ही कब्जा रहा है। परिसीमन से पहले 1998 में कांग्रेस के पीसी शर्मा ने यहां कांग्रेस का झंडा लहराया था लेकिन उसके बाद से सीट पर कमल ही खिला है। जनता ने उमाशंकर गुप्ता पर भरोसा जताया लेकिन हमेशा महत्वपूर्ण विभाग के मंत्री रहने के बाद भी गुप्ता ने क्षेत्र के विकास की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। पांच महीने बाद नवंबर में विधानसभा चुनाव हैं ऐसे में मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने लोगों की नाराजगी दूर करने के लिए डोर टू डोर सर्वे शुरू कर दिए हैं, लेकिन लोगों की समस्याएं जस की तस हैं।

भोपाल जिले में आने वाली भोपाल दक्षिण पश्चिम सीट की जनता पिछले 15 साल से सत्ता रूढ़ बीजेपी और उमाशंकर गुप्ता पर भरोसा करती आ रही है। उमाशंकर वर्तमान में शिवराज सरकार में कद्दावर मंत्री भी है..बावजूद इसके इलाके मे विकास ठहरा सा नजर आता है। यही वजह है कि यहां की जनता कहीं न कहीं ठगा हुआ महसूस कर रही है। भोपाल की दक्षिण पश्चिम सीट में पानी, झुग्गी बस्तियां और बढ़ता क्राइम एक बड़ी समस्या बन चुका है। राजधानी भोपाल में आने वाली इस विधानसभा के मांडवा बस्ती में रहने वाले लोगों की ये हालात हैकि आज भी उन्हें पानी जैसी मूलभूत समस्या के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है।

दक्षिण पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा झुग्गी बस्तियां आती हैं। बारिश के मौसम में अक्सर इनमें पानी भर जाता है। कई बस्तियों में तो पानी भर जाने के बाद हादसे भी हो चुके हैं। वहीं स्मार्ट सिटी के नाम पर साउथ टीटी नगर और नार्थ टीटी नगर में रहने वाले सरकारी कर्मचारियों के मकान खाली कराकर तोड़े गए,  जिससे कर्मचारी नाराज हैं। वहीं सड़क, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में भी बेहतर काम नजर नहीं आता। जिसे लेकर स्थानीय लोगों में विधायक के खिलाफ काफी गुस्सा है। कुल मिलाकर राजधानी भोपाल में आने वाली इस विधानसभा के लोगों की दुश्वारियां की कोई कमी नहीं है और विधायक की निष्क्रियता भी आगामी चुनाव में बड़ा मुद्दा बन सकता है।

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मध्यप्रदेश सरकार के कद्दावर मंत्री उमाशंकर गुप्ता का चुनाव क्षेत्र भोपाल दक्षिण पश्चिम भाजपा का गढ़ माना जाता है। गुप्ता के लगातार तीन विधानसभा चुनाव जीतने के कारण इस सीट को लेकर यह परसेप्शन बन गया है। लेकिन, सरकार के बड़े साहबों की अधिकता वाला यह क्षेत्र कभी भी अपना मूड बदल सकता है।

भोपाल जिले में आने वाली दक्षिण पश्चिम विधानसभा सीट परिसीमन से पहले दक्षिण पश्चिम सीट एशिया की सबसे बड़ी विधानसभा सीट थी। .परिसीमन के बाद दक्षिण पश्चिम सीट को तीन हिस्सों में बांटा गया। यहां सबसे बड़ा एरिया स्लम बस्तियों का है, जहां रहने वाले लोग ही चुनाव में प्रत्याशियों की जीत-हार का फैसला करते हैं। इस सीट पर जाति समीकरण भी बेहद दिलचस्प है।

2 लाख 85 हजार मतदाता वाली भोपाल दक्षिण पश्चिम विधानसभा में चार इमली और 74 बंगले जैसे इलाके आते हैं। ये वो इलाके हैं जहां सरकार के सबसे बड़े अफसर यानी आईएएस औऱ आईपीएस रहते हैं। इनके अलावा विधानसभा क्षेत्र का अधिकांश मतदाता झुग्गी बस्ती औऱ कर्मचारी वर्गों का है। जो राहुल नगर, पंचशील नगर, सुदामा नगर, बांडगंगा, भीम नगर, नया बसेरा, राजीव नगर, पंपा पुरा, शबरी नगरी जैसी झुग्गियों में रहते हैं। इन बस्तियों में 40 हजार से ज्यादा मतदाता रहते हैं। वहीं बाबूओं का शहर कहे जाने वाले भोपाल के अधिकांश कर्मचारी भी इसी विधानसभा क्षेत्र में रहते हैं। कर्मचारी नेताओं की माने तो बाबू और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी सरकार से खफा हैं और इसका असर चुनाव पर जरूर पड़ेगा।

सीट पर जाति समीकरण की बात करें तो इलाके में 25 से 30 हजार कायस्थ, 35 हजार ब्राह्मण और 30 हजार के करीब मुस्लिम आबादी हैं। क्षेत्र की आबादी में स्लम मतदाता भी निर्णायक संख्या में है लेकिन झुग्गियों के हालात बद से बदतर हैं। क्षेत्र के युवाओं में रोजगार की बात करें तो वो भी ना के बराबर है। युवा खुलकर सरकार की नाकामी गिना रहे हैं। पढ़े-लिखे युवाओं का मानना है कि अगर रोजगार मिलता तो बेरोजगार युवक अपराध की तरफ नहीं बढ़ते। कुल मिलाकर भोपाल दक्षिण-पश्चिम विधानसभा में बुनियादी मुद्दों के अलावा जाति समीकरण भी चुनावी समीकरणों को बिगाड़ सकता है। जाहिर है मौजूदा विधायक के लिए मिशन 2018 किसी बड़े इम्तिहान से कम नहीं होगा।

भोपाल दक्षिण-पश्चिम सीट में टिकट के संभावित उम्मीदवारों की बात की जाए तो बीजेपी वर्तमान विधायक उमाशंकर गुप्ता पर ही दांव खेलने वाली है। लेकिन जनता और कार्यकर्ताओं की नाराजगी को भांप चुके उमाशंकर गुप्ता ने चुनाव को लेकर मैदानी स्तर पर तैयारियां तेज कर दी हैं। उन्होंने जनता की नब्ज पकड़ने के लिए अपने स्तर पर सर्वे भी करा लिया है। वहीं कांग्रेस से भी कई दावेदार दक्षिण पश्चिम सीट से अपना भाग्य आजमाना चाहते हैं। अगर कांग्रेस आलाकमान परिस्थियों को भांपते हुए सही उम्मीदवार पर दांव खेलती है तो बाजी पलट भी सकती है।

राजनीति में कभी कुछ स्थाई नहीं होता है और इस बात को भोपाल दक्षिण-पश्चिम के विधायक उमाशंकर गुप्ता अच्छी तरह से समझ गए हैं। उमाशंकर गुप्ता इस सीट पर लगातार तीन बार से चुनाव जीतते आ रहे हैं और आगामी चुनाव में भी उन्हें टिकट मिलना लगभग तय माना जा रहा  है। लेकिन उन्हें कहीं न कहीं लगता है कि क्षेत्र में उनके खिलाफ एंटी इंकमवेंसी है। यही वजह है कि वो अपने कार्यकर्ताओँ के साथ-साथ मतदाताओँ  की नाराजगी दूर करने में जुट गए हैं।

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वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने भी मौके की नजाकत को समझते हुए जमीनी स्तर पर अपनी फिल्डिंग तेज कर दी है। मगर पिछले कुछ समय से एकजुटता का दावा कर रही कांग्रेस के लिए टिकट उम्मीदवारों की लंबी कतार सिरदर्द बन सकता है। कांग्रेस से कई युवा नेता टिकट की जुगाड़ में अपने-अपने आकाओँ के बंगले के चक्कर लगाना शुरू कर दिया है। बीजेपी के उमाशंकर गुप्ता को टक्कर देने के लिए कांग्रेस के पीसी शर्मा को सबसे मजबूत प्रत्याशी माना जा रहा है। पीसी शर्मा कहते हैं कि पार्टी जहां से मौका देगी वहां से चुनाव लड़ेंगे। उनके मुताबिक बीते 15 साल में उमाशंकर गुप्ता ने कोई भी बड़ा काम क्षेत्र की जनता के लिए नहीं किया।

कांग्रेस में पीसी शर्मा के अलावा दो बार पार्षद रहे अमित शर्मा भी टिकट के लिए अपना दावा पेश कर चुके हैं। अमित शर्मा के मुताबिक अगर पार्टी उन्हें टिकट देती है तो कर्मचारियों के दम पर वो चुनाव जीत सकते हैं। वहीं दिग्गी खेमे से मोनू सक्सेना और संतोष कसाना, प्रवीण सक्सेना और आभा सिंह  जैसे नेता भी टिकट की दौड़ में शामिल हैं। मोनू सक्सेना के मुताबिक पार्टी किसी को भी टिकट दे, लेकिन सभी साथ मिलकर बीजेपी को हराएंगे।

कांग्रेस के नेता भले एकजुटता के साथ चुनाव लड़ने का दावा करते हों, लेकिन उमाशंकर गुप्ता अपनी जीत को लेकर कॉन्फिडेंट हैं। उनके मुताबिक वो चुनाव को ध्यान में रखकर काम नहीं करते और ना ही नकारात्मक राजनीति करते हैं। चुनाव सिर्फ 15 दिन के होते हैं, जनता के बीच विकास औऱ कल्याणकारी योजनाओं का निरंतर जारी रहता है। हर वर्ग के लिए शिवराज सरकार काम कर रही है।

चुनाव में अभी 5 महीने से ज्यादा का समय बाकी है। लेकिन भोपाल दक्षिण पश्चिम विधानसभा में सियासी पारा चढ़ने लगा है। दोनों पार्टियां पूरी ताकत झोंक रही हैं। सीट पर निर्दलीय और बीएसपी प्रत्याशी भी गेम चेंजर की भूमिका में रह सकता है। अब देखना है कि दक्षिण-पश्चिम में ऊंट किस करवट बैठता है।

वेब डेस्क, IBC24