(Gensol Engineering Scam, Image Credit: Meta AI)
Gensol Engineering Scam: नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की अहमदाबाद बेंच ने जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड और उससे जुड़ी संस्थाओं व प्रमोटरों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। 28 मई को दिए गए आदेशों में ट्रिब्यूनल ने फंड डायवर्जन, कॉर्पोरेट धोखाधड़ी और नियमों के सुनियोजित उल्लंघन के गंभीर आरोपों को ध्यान में रखते हुए सख्त निर्देश जारी किए। यह मामला कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA), SEBI, SFIO, RBI और आयकर विभाग जैसे कई प्रमुख नियामक एजेंसियों की संयुक्त कार्रवाई का कारण बना है।
जांच के अनुसार, जेनसोल के प्रमोटर्स अनमोल सिंह जाजी और पुनीत सिंह जाग्गी पर आरोप है कि उन्होंने कंपनी के फंड्स का गलत उपयोग किया। वित्तीय दस्तावेजों में हेरफेर की गई, संपत्तियों को गलत तरीके से बेचा गया या गिरवी रखा गया। इसके अलावा, बैंकों से झूठ बोलकर भारी-भरकम लोन लिए गए और फिर चुकाने से इनकार कर दिया गया। खास बात ये है कि कंपनी की इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) यूनिट के नाम पर करीब 975 करोड़ रुपये का लोन लिए जाने और उसके दुरुपयोग की आशंका जताई जा रही है।
ट्रिब्यूनल ने 37 व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ एक के बाद एक कई सख्त आदेश पारित किए हैं-
संपत्ति का खुलासा: सभी आरोपियों को अपनी वैश्विक संपत्तियों, बैंक खातों और लॉकरों की जानकारी देना अनिवार्य किया गया है।
खाते फ्रीज: RBI और बैंकों को निर्देश दिए गए हैं कि सभी संबंधित बैंक खाते, लॉकर और संपत्तियां तत्काल फ्रीज कर दी जाएं।
संपत्ति बिक्री पर रोक: भारत और विदेश में कोई भी संपत्ति बेची, गिरवी या ट्रांसफर नहीं की जा सकती।
शेयर लेन-देन पर प्रतिबंध: MCA द्वारा BSE और NSE को जानकारी दी जाएगी कि आरोपी किसी भी शेयर में लेन-देन न कर सकें।
शेयर फ्रीज और जब्ती: CDSL और NSDL को आदेश है कि सभी संबंधित डीमैट खातों को फ्रीज कर जब्त कर लिया जाए।
विदेशों में भी आदेश लागू: विदेशों में भारतीय दूतावासों के माध्यम से ट्रिब्यूनल के आदेशों को लागू करने की प्रक्रिया शुरू होगी।
आयकर विभाग से डेटा: आरोपियों की संपत्तियों का विवरण देने के लिए आयकर विभाग को नोटिस भेजा गया है।
जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड एक लिस्टेड कंपनी है, जो सोलर EPC प्रोजेक्ट्स और EV निर्माण में कार्यरत है। इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर में उतरने के बाद इसका नाम तेजी से उभरा था। लेकिन वित्तीय रिकॉर्ड और लोन दस्तावेजों में खामियों ने कंपनी को जांच के घेरे में ला दिया।
SEBI और SFIO की प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आया कि प्रमोटर्स ने कंपनी के पैसों को निजी फर्मों और अपने व्यक्तिगत खातों में ट्रांसफर किया। EV और ग्रीन टेक्नोलॉजी के नाम पर निवेशकों और बैंकों को गुमराह किया गया और भारी लोन लेकर उन पैसों से निजी संपत्तियां खरीदी गई।
इस मामले की अगली सुनवाई 3 जून 2025 को होगी, जिसमें सभी 37 आरोपियों को अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस भेजा जा चुका है। यह मामला साल 2025 के सबसे चर्चित और बड़े कॉर्पोरेट घोटालों में शामिल हो चुका है। इस घोटाले ने भारत के EV और ग्रीन टेक्नोलॉजी क्षेत्र में पारदर्शिता, नियमन और वित्तीय अनुशासन को लेकर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। आने वाले दिनों में इस केस में और भी कड़ी कार्रवाई होने की संभावना है।
नोट:- शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन होता है। शेयरों, म्यूचुअल फंड्स और अन्य वित्तीय साधनों की कीमतें बाजार की स्थितियों, आर्थिक परिस्थितियों और अन्य कारकों के आधार पर घट-बढ़ सकती हैं। इसमें पूंजी हानि की संभावना भी शामिल है। इस जानकारी का उद्देश्य केवल सामान्य जागरूकता बढ़ाना है और इसे निवेश या वित्तीय सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए।