IBC24 Swarn Sharda Scholarship 2022 : डॉक्टर बनकर माओवाद इलाके से शुरू करना चाहती हूं सेवा : 12वीं टॉपर तिनीशा साहू

IBC24 Swarn Sharda Scholarship 2022 : माओवाद इलाका है, चाहती हूं डॉक्टर बनकर यहीं सेवा करूः 12वीं टॉपर तिनीशा साहू

IBC24 Swarn Sharda Scholarship 2022 : डॉक्टर बनकर माओवाद इलाके से शुरू करना चाहती हूं सेवा : 12वीं टॉपर तिनीशा साहू

IBC24 Swarn Sharda Scholarship 2022: Success Story of 12th Topper Tinisha sahu

Modified Date: November 29, 2022 / 05:19 am IST
Published Date: July 7, 2022 5:06 am IST

रायपुर। अपने सामाजिक सरोकारो को निभाते हुए IBC24 समाचार चैनल हर साल स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप सम्मान से जिले की टॉपर बेटियों को सम्मानित करता है। इस साल भी IBC24 समाचार चैनल की ओर से स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप दिया जा रहा है। IBC24 की ओर से दी जाने वाली स्वर्ण शारदा स्कॉलरशिप केवल टॉपर बेटियों को ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के प्रत्येक संभाग के टॉपर बेटों को भी दी जाएगी। नारायणपुर जिले की तिनीशा साहू ने जिले का मान बढ़ाया है। 12वीं परीक्षा में 432 अंक हासिल किया। तिनीशा साहू ने शा. आत्मानंद हा. से. स्कूल, सिंगोड़ीतराई, नारायणपुर में अपना पढ़ाई पूरी की है।

तिनीशा साहू ने कहा कि “मेरे पापा कंडक्टरी का काम करते हैं। 4 लोगों का छोटा सा परिवार इसी से चलता है। कोरोना के समय भारी आर्थिक, मानसिक संकट के बाद नई ऊर्जा से पढ़ा तो नतीजे हाथ में हैं।“

माओवाद इलाका है, चाहती हूं डॉक्टर बनकर यहीं सेवा करूः तिनीशा

तिनीशा साहू की जुबानी.. नारायणपुर जिला अतिसंवेदनशील माओवादी जिला है। मैं जानती हूं यहां का जीवन और दूसरे शहरों के जीवन में क्या अंतर है। यहां से किसी को आगे बढ़ते देखना बड़ा सुखद होता है। यह असल में भारत का सोशियो-इकॉनिमक चेंज है। सामाजिक तानाबाना ऐसा है कि सबको पढ़ाई के अवसर तो हैं, लेकिन संघर्ष अधिक है। मैंने अपनी पढ़ाई को इस तरह से ही प्लान किया। स्कूल, परिवार, पड़ोस और अपनी भीतर की कुछ कर गुजरने की आकांक्षा के मिश्रण से ही आगे बढ़ा जा सकता है। रोज सुबह 3 घंटे और शाम को भी 3 घंटे का समय देती थी। इस बीच पूरी तरह से पढ़ाई की ही रहती थी। हर विषय को ठीक से समझना और उसे फिर वैसे ही मन में बिठाना। कोई भी प्रश्न कहीं से भी पूछा जा सकता है। मेरी तैयारी उस हिसाब की होनी चाहिए। वही मैंने किया। इसके साथ ही मुझे खेल-कूद में भी आगे बढ़ना था। यह मेरा शौक है। इससे मुझे पढ़ने के लिए नव ऊर्जा मिलती है। मेरे पापा बस में कंडक्टरी का काम करते हैं। बहुत सीमित आय है, लेकिन हौसला मेरा असीमित है। महामारी के समय मानसिक रूप से सब टूट गए थे तो आर्थिक रूप से भी हमारी रीढ़ पर वार हुआ। हमारा चार लोगों का परिवार इतने संकट में आ गया था कि मेरा भी आत्मविश्वास डिगने लगा था। मगर पापा ने अपनी आर्थिक परेशानियों को मुझ तक नहीं आने दिया। मैं डॉक्टर बनना चाहती हूं। यह पेशा मेरे दिल के बड़े करीब है। मैं चाहती हूं अपने लोगों की यहीं पर सेवा करूं। आईबीसी-24 की स्वर्ण शारदा बड़े गौरव की बात है।

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