नई दिल्ली। छात्रों का इंजीनियरिंग से मोहभंग हो रहा है। पिछले 10 वर्षों में देश में इंजीनियरिंग सीटों की संख्या 2021-22 के दौरान सबसे कम रही है।
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पिछले 10 वर्षों में देश में इंजीनियरिंग सीटों की संख्या 2021-22 के दौरान सबसे कम रही है। दूसरी तरफ मैनेजमेंट कोर्सेज की तरफ रुझान लगातार बढ़ता जा रहा है। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के आंकड़े बताते हैं कि इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम अपनी चमक खोते जा रहे हैं।
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इंजीनियरिंग से हुए मोहभंग ने प्रबंधन की शिक्षा की मांग बढ़ाने का काम किया है। हाल के वर्षों में प्रबंधन पाठ्यक्रमों में सीटों में अच्छी-खासी वृद्धि हुई है।
AICTE के मुताबिक, 2021-22 के सत्र के लिए देशभर में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में कुल 23.6 लाख सीटें उपलब्ध थीं। यह संख्या 2012-13 के बाद सबसे कम है। उस दौरान 26.9 लाख सीटें उपलब्ध थीं। पिछले दस सालों में सबसे ज्यादा सीटें 2014-15 में थीं।
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2017-18 से 2020-21 तक के आंकड़े बताते हैं कि प्रबंधन पाठ्यक्रमों की तुलना में पिछले पांच वर्षों में इंजीनियरिंग कॉलेजों में अधिक सीटें खाली बची रही हैं। इस अवधि के दौरान प्रबंधन संस्थानों में रिक्त सीटों का प्रतिशत 34 से 37 के बीच था। जबकि पिछले पांच वर्षों में इंजीनियरिंग कॉलेजों में खाली बची रही सीटों की संख्या 45 से 48 प्रतिशत के बीच है।
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उस दौरान इंजीनियरिंग कॉलेजों में 31.8 लाख सीटें थीं। 2019-20 के बाद से मैनेजमेंट पाठ्यक्रमों के लिए सीटों में लगातार वृद्धि दिखी है। 2021-22 में 4.04 लाख सीटें इन कोर्सेज के तहत हैं। पिछले पांच सालों में सबसे अधिक रही हैं।