बरेली (उप्र), 27 नवंबर (भाषा) उत्तर प्रदेश सरकार के सख्त निर्देशों के बाद बरेली मंडल के अधिकारी क्षेत्र में गैर-कानूनी तरीके से रह रहे रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान करने के लिए एक बड़ा अभियान शुरू करने वाले हैं।
मंडलायुक्त भूपेंद्र एस. चौधरी ने मंडल के जिलाधिकारियों को अस्थायी हिरासत केंद्र बनाने का निर्देश दिया है, जहां पहचाने गए गैर-कानूनी अप्रवासियों को तब तक रखा जाएगा जब तक उनका सत्यापान और जांच का काम पूरा नहीं हो जाता और प्रक्रिया के मुताबिक उन्हें उनके देश वापस नहीं भेज दिया जाता।
चौधरी ने कहा कि कई बांग्लादेशी नागरिकों पर शक है कि वे असम या पश्चिम बंगाल के निवासी बनकर ईंट भट्टों, फैक्ट्रियों और दूसरी जगहों पर काम कर रहे हैं और उनके पास भारतीय दस्तावेज भी हैं। उन्होंने कहा कि उनकी भाषा और हाव-भाव से शक पैदा हुआ है।
चौधरी ने कहा, ‘पहचान में मदद के लिए, जरूरत पड़ने पर त्रिपुरा से भाषा विशेषज्ञों को बुलाया जाएगा। स्थानीय बांग्ला बोलने वाले निवासी भी पहचान और सत्यापन प्रक्रिया में मदद करेंगे।”
बरेली जिले के अधिकारियों और पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्य ने कहा कि अगर किसी के पास नकली आधार कार्ड, वोटर पहचान पत्र या दूसरे नकली कागजात मिले, तो उसके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाएगी।
बरेली पुलिस ने जून में दो महीने लंबे अभियान में झुग्गी-झोपड़ियों और खानाबदोश बस्तियों में रहने वाले कई संदिग्ध लोगों की पहचान की थी।
पुलिस के अनुसार जिले में दस से ज़्यादा बांग्लादेशी नागरिकों के गैर-कानूनी तरीके से रहने की पुष्टि हुई थी।
पुलिस ने बताया कि अगस्त में, प्रेमनगर इलाके से बांग्लादेशी मूल की तीन बहनों को नकली पहचान का इस्तेमाल करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
पुलिस ने कहा कि एक और मामले में, नकली पहचान के साथ रह रहे एक बांग्लादेशी नागरिक को गिरफ्तार किया गया था।
बीते दिनों मुख्यमंत्री ने घुसपैठियों की तलाश करके उन्हें वापस भेजने का निर्देश दिया था। पहचान का सत्यापन होने तक उन्हें जिला स्तर पर अस्थायी हिरासत केंद्र में रखने के लिए कहा गया है।
जिलाधिकारियों को को अस्थायी हिरासत केंद्र बनाने और तैयारियां तेज करने के निर्देश दिए हैं।
भाषा सं जफर जोहेब
जोहेब