‘उपासना स्थल कानून के प्रावधानों के खिलाफ है, मामला सुनवाई योग्य ही नहीं’ ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष की दलील

'उपासना स्थल कानून के प्रावधानों के खिलाफ है! Cross-examination of Muslim side remains incomplete in Gyanvapi, next hearing on July 4

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  • Publish Date - May 30, 2022 / 05:02 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:54 PM IST

वाराणसी: Cross-examination of Muslim side  उत्तर प्रदेश के वाराणसी के ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले की सुनवाई करने के औचित्य के मुद्दे पर सोमवार को भी मुस्लिम पक्ष की जिरह पूरी नहीं हो पाई। अदालत ने मामले की सुनवाई की अगली तिथि चार जुलाई नियत की है। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने संवाददाताओं को बताया कि जिला न्यायाधीश एके विश्वेश की अदालत में मामले की सुनवाई करने के औचित्य संबंधी याचिका पर मुस्लिम पक्ष की जिरह आज भी जारी रही और उसके मुकम्मल होने से पहले ही अदालत का समय समाप्त हो गया, जिसके बाद अदालत ने कहा कि वह अब इस मामले को एक जून से शुरू होने वाली गर्मियों की छुट्टी के बाद चार जुलाई को सुनेगी। इससे पहले शुक्रवार को मुस्लिम पक्ष ने अपनी दलीलें अदालत में रखनी शुरू की थीं, जो आज भी जारी रहीं। जैन ने बताया कि अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि परिसर की वीडियोग्राफी सर्वे की रिपोर्ट मामले के सभी पक्षों को उपलब्ध कराई जाएगी। मगर इसके लिए क्या शर्ते होंगी वह अदालत ही बताएगी।

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Cross-examination of Muslim side  गौरतलब है कि दिल्ली निवासी राखी सिंह तथा पांच अन्य महिलाओं ने ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर में शृंगार गौरी की नियमित पूजा अर्चना करने और विभिन्न विग्रहों की सुरक्षा से संबंधित एक याचिका दायर की थी। इस मामले में सिविल जज (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने पिछले 26 अप्रैल को परिसर की वीडियोग्राफी सर्वे कराने के आदेश दिए थे। इस सर्वे की रिपोर्ट पिछली 19 मई को अदालत में पेश की गई थी। सर्वे के दौरान हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजू खाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया था जिसे मुस्लिम पक्ष ने खारिज करते हुए कहा था कि वह शिवलिंग नहीं बल्कि फव्वारा है।

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इसी बीच उच्चतम न्यायालय ने मुस्लिम पक्ष की एक याचिका पर मामले को जिला जज की अदालत में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। मुस्लिम पक्ष ने जिला अदालत में अर्जी देकर कहा था कि यह मामला उपासना स्थल कानून के प्रावधानों के खिलाफ है लिहाजा यह सुनवाई किए जाने योग्य ही नहीं है। अदालत ने सोमवार को इसी मामले पर सुनवाई की।