Firozabad News: ‘यूट्यूब चैनल पर 50 हजार सब्सक्राइबर्स तभी कर पाएंगे पत्रकारिता वरना.. ‘ पत्रकारों के लिए जिला सूचना अधिकारी का अजब फरमान..

इस कथित स्क्रीनशॉट के वायरल होने के बाद इसे लेकर आम यूजर्स की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है। कोई इसे सरकारी तानाशाही बता रहा है तो कुछ ऐसे अजब-गजब आदेश के पक्ष में खड़े होते दिखाई पड़ रहे है।

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  • Publish Date - September 20, 2025 / 02:13 PM IST,
    Updated On - September 20, 2025 / 02:13 PM IST

Firozabad News || Image- IBC24 News File

HIGHLIGHTS
  • यूट्यूब पत्रकारों पर नया फरमान
  • 50 हजार सब्सक्राइबर जरूरी बताए गए
  • आदेश वायरल, मचा बवाल

Firozabad News: फिरोजाबाद: कभी सरकार तो कभी प्रशासन के साथ पत्रकारों की ठनी आम बात है। आम पत्रकार सरकार और स्थानीय प्रशासन की कमियों को उजागर करता है। वह अपने कलम से आमजनों को न्याय दिलाने का प्रयास भी करता है। अमूमन ऐसी रिपोर्टिंग का नुकसान संबंधित अफसरों को झेलनी पड़ती है और उच्चाधिकारिओं द्वारा उन्हें दण्डित भी किया जाता है। इस तरह पत्रकार लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के साथ ही समाज का आइना भी होता है।

लेकिन समाज के इस आईने को अपने तुगलकी फरमान से धूमिल करने यानी पत्रकारों को पत्राकरिता से रोकने का एक अनोखा मामला सामने आया है। हालांकि इसके सत्यता की पुष्टि IBC24 नहीं करती है।

क्या है प्रकरण?

दरअसल उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद के जिला सूचना अधिकारी के आदेश का व्हाट्सप्प स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस कथित आदेश में यूट्यूबर पत्रकारों के लिए जो पैमाना तय किया गया है वह बेहद हैरान करने वाला है।

Firozabad News: स्क्रीनशॉट में साफतौर पर लिखा है कि, ‘समस्त इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया के पत्रकार बंधुओ को सूचित किया जाता है, कि कोई भी ऐसा व्यक्ति जो यूट्यूब के द्वारा जनपद में पत्रकारिता कर रहा है और जिसका सब्सक्रिप्शन 50000 से नीचे है, अगर वह जनपद में पत्रकारिता करते हुए पाया गया तो उस पर प्रेस एक्ट अधिनियम के तहत कठोरतम कार्रवाई की जाएगी’

ऐसे में अब सवाल उठता है कि, पत्रकारिता के लिए ऐसा अनोखा मापदंड किसने तैयार किया है? क्या वीडियो पत्रकारों के लिए यह नियम सभी जगहों पर लागू है? और सबसे बड़ा सवाल कि, क्या 50000 हजार सब्सक्राइबर्स वाले यू-ट्यूबर्स को पत्रकार मान लिया जाएगा?

इस कथित स्क्रीनशॉट के वायरल होने के बाद इसे लेकर आम यूजर्स की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है। कोई इसे सरकारी तानाशाही बता रहा है तो कुछ ऐसे अजब-गजब आदेश के पक्ष में खड़े होते दिखाई पड़ रहे है।

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