प्रोफेसर तिवारी को पद्मश्री पुरस्कार मिलने से खुशी, मगर देर से मिलने का मलाल

Happy to receive Padma Shri award to Professor Tiwari, but sorry for getting late : प्रोफेसर तिवारी को पद्मश्री पुरस्कार मिलने से खुशी, मगर देर से मिलने का मलाल

  •  
  • Publish Date - January 26, 2023 / 05:39 PM IST,
    Updated On - January 26, 2023 / 05:59 PM IST

लखनऊ । पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित वयोवृद्ध साहित्यकार प्रोफेसर विश्वनाथ प्रसाद तिवारी का कहना है कि यह सम्मान किसी सपने के सच होने जैसा है। मगर उन्हें इस बात का मलाल भी है कि यह अवार्ड और पहले मिलना चाहिए था। गोरखपुर विश्वविद्यालय में हिंदी के विभागाध्यक्ष रहे 82 वर्षीय प्रोफेसर तिवारी ने गोरखपुर में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘अगर किसी लेखक को बिना किसी सिफारिश के देश का प्रतिष्ठित पुरस्कार पद्मश्री मिल जाए तो उसका सम्मान किया जाना चाहिए। मैंने अपनी पूरी जिंदगी भर निष्पक्ष रहने की कोशिश की और सरकार ने भी मेरी इस निष्पक्षता का सम्मान किया।’ उन्होंने कहा ‘कोई भी पुरस्कार लेखन की गुणवत्ता के आधार पर दिया जाना चाहिए। मैं साढ़े 82 साल का हो चुका हूं और इस अवस्था में मुझे लगता है कि अगर यह पुरस्कार मुझे और पहले मिला होता तो मुझे ज्यादा खुशी होती।’

मिडिल क्लास लोगों को मिल सकती है खुशखबरी, बजट में हो सकता है ये बड़ा ऐलान, IT में भी मिल सकती राहत 

शिक्षा एवं साहित्य के क्षेत्र में पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित प्रोफेसर तिवारी ने कहा, ‘यह सोचने की बात है, मगर मुझे देर से ही सही, यह पुरस्कार मिला। मैं यह निर्णय लेने वाली समिति का धन्यवाद करता हूं।’ कुशीनगर जिले के भेरीहारी गांव में 20 जून 1940 को जन्मे प्रोफेसर तिवारी ने गोरखपुर में अपनी शिक्षा ग्रहण की और इस वक्त वह गोरखपुर के बेतीहाता में अपने परिवार के साथ रह रहे हैं। उन्होंने 1978 से त्रैमासिक पत्रिका दस्तावेज का प्रकाशन किया। तिवारी को साहित्य के साथ-साथ शिक्षा और शिक्षण में उत्कृष्ट योगदान के लिए भी जाना जाता है। वह गोरखपुर विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष भी रहे।

माइक्रोसॉफ्ट और मेटा के बाद अब इस बड़ी कंपनी ने शुरू की छटनी, कर्मचारियों को दिखाया बाहर का रास्ता

वर्ष 2001 में सेवानिवृत्त होने के बाद वह वर्ष 2013 से 2017 तक साहित्य अकादमी के अध्यक्ष भी रहे। प्रोफेसर तिवारी को रूस के पुश्किन अवार्ड से सम्मानित किया गया था और वर्ष 2019 में उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी नवाजा गया था। वह गोरखपुर विश्वविद्यालय से जुड़ी दूसरी हस्ती हैं जिन्हें पद्म पुरस्कार दिया गया है। इससे पहले, गोरखपुर विश्वविद्यालय के संगीत एवं ललित कला विभाग के पूर्व अध्यक्ष आचार्य राजेश्वर को पद्म श्री पुरस्कार प्रदान किया गया था। चिकित्सा के क्षेत्र में योगदान के लिए पद्मश्री से नवाजे गए मनोरंजन साहू ने कहा कि इससे आयुर्वेद शल्य चिकित्सा से जुड़े चिकित्सकों का मनोबल बढ़ेगा। साहू ने कहा ‘मैं आयुर्वेदिक शल्य चिकित्सा के क्षेत्र से पिछले 40 सालों से जुड़ा हूं और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के साथियों तथा वरिष्ठ जनों ने हमेशा मेरा सहयोग किया और मनोबल बढ़ाया।’

राजधानी में पठान फिल्म को लेकर मॉल में हंगामा, हिंदू संगठन और​​ शिवसेना ने बेशर्म रंग गाने को लेकर किया विरोध प्रदर्शन

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने बुधवार को पद्म पुरस्कारों के विजेताओं के नाम घोषित कर दिए। इनमें आठ उत्तर प्रदेश के हैं। पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुने गए बांदा जिले के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता उमा शंकर पांडे ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘मैं चयन समिति का धन्यवाद देता हूं कि उसने मेरे नाम और काम को पहचाना। मैंने तो इस पुरस्कार के लिए आवेदन भी नहीं किया था, लिहाजा मुझे इसे मिलने की और भी ज्यादा खुशी है।’ पांडे बुंदेलखंड के सूखाग्रस्त गांवों में पानी पहुंचाने के लिए काम कर रहे हैं। इसके अलावा देश के पूर्व रक्षा मंत्री तथा उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को सार्वजनिक जीवन के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया जाएगा।

बच्चों के लिए खुशखबरी! कार्यक्रम के दौरान हुआ छुट्टी का ऐलान, इस जिले के स्कूल रहेंगे बंद, जानें वजह