नई दिल्ली: Gutkha and Pan Masala ‘मसाला और गुटका चबाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है…इससे कैंसर होता है’ ये लाइन तो आपने पान मसाला के विज्ञापन पर जरूर सुनी होगी। लेकिन क्या सिर्फ ये लाइन सुनकर लोग गुटखा खाना छोड़ देंगे, वो भी तब जब देश के नामी फिल्म कलाकार सलाह दे रहे हैं कि ‘बोलो जुबां केसरी’। हैरानी की बात तो ये है कि गुटखा-पान मसाला का विज्ञापन ऐसे कलाकार कर रहे हैं जिन्हें देश के सर्वोच्च पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। जी हां गुटका बनाने वाली कंपनियों और उसका प्रचार करने वाले अमिताभ, शाहरुख, अजय देवगन सहित कई अभिनेताओं की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
Gutkha and Pan Masala दरअसल इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ में एकल जज पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता वकील मोतीलाल यादव ने खुद पेश हो कर गुटखा और पान मसाला कंपनियों के बनाए उत्पादों का प्रचार करने वाले अभिनेताओं, जिनमें पद्म पुरस्कार से सम्मानित हस्तियां भी शामिल हैं उनके खिलाफ समुचित कार्रवाई न किए जाने की दलील दी थी। इस पर कोर्ट आदेश की अवमानना अर्जी पर केंद्रीय कैबिनेट सचिव व केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण की मुख्य आयुक्त को अवमानना नोटिस जारी किया है।
जस्टिस राजेश सिंह चौहान की पीठ ने कैबिनेट सचिव राजीव गौबा और केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण की मुख्य आयुक्त निधि खरे को अवमानना नोटिस जारी कर चार हफ्ते में अपना पक्ष रखने की कहा है। इस आवेदन में मोतीलाल यादव ने कहा कि पद्म पुरस्कार अलंकृत हस्तियों का इन विज्ञापनों का हिस्सा बनना किसी भी सूरत में उचित और नैतिक नहीं होना चाहिए।
अभिनेता अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, अजय देवगन, अक्षय कुमार, सैफ अली खान के खिलाफ कार्रवाई करने की गुहार लगाई गई है। ये सभी गुटखा कंपनियों के उत्पादों के विज्ञापन करते हैंय पीठ ने अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को तय की है। इस मामले में जनहित याचिकाकर्ता की दलील थी कि दोनों अधिकारियों यानी कैबिनेट सचिव और उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण की अध्यक्ष को पिछले साल 15 अक्टूबर 2022 को प्रतिवेदन भेजा गया था। उसमें इन अभिनेताओं और इन हानिकारक उत्पादों को महिमंडित और क्रेजी बताने वाले उनसे विज्ञापन कराने वाली कंपनियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई करने की अपील की गई थी, लेकिन साल बीत जाने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस पर कोर्ट ने दोनों अधिकारियों से पूछा है कि क्या कोई कार्रवाई हुई या नहीं? याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के 1996 में दिए गए एक फैसले का भी हवाला दिया जिसमें कोर्ट ने पद्म पुरस्कार के लिए हस्तियों के चुनाव पर चिंता जताई थी।