Muslim shopkeepers in Uttar Pradesh will write their names in their shops
लखनऊ: बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा को उत्तर प्रदेश में बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। कभी 62 सीटों के साथ शीर्ष पर रही भगवा पार्टी की इस बार सीटें आधी रह गई हैं। इस नतीजे के बाद से ही वहां के सरकार और संगठन के भीतर खटपट की ख़बरें सामने आती रही हैं। फिलहाल यहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच रिश्ते सही नहीं होने की खबर थी तो अब उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले का पार्टी के भीतर ही विरोध शुरू हो गया है। आइये जानते हैं क्या है वह फैसला और किस नेता इसके खिलाफ आवाज उठाई है।
कुछ अति-उत्साही अधिकारियों के आदेश हड़बड़ी में गडबड़ी वाली ..अस्पृश्यता की बीमारी को बढ़ावा दे सकते हैं…आस्था का सम्मान होना ही चाहिए,पर अस्पृश्यता का संरक्षण नहीं होना चाहिए….”जनम जात मत पूछिए, का जात अरु पात।
रैदास पूत सब प्रभु के,कोए नहिं जात कुजात।।🙏🙏🙏— Mukhtar Abbas Naqvi (@naqvimukhtar) July 18, 2024
दरअसल पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के बड़े अल्पसंख्यक नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा कि कुछ अति-उत्साही अधिकारियों के आदेश हड़बड़ी में गडबड़ी वाली अस्पृश्यता की बीमारी को बढ़ावा दे सकते हैं। आस्था का सम्मान होना ही चाहिए,पर अस्पृश्यता का संरक्षण नहीं होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि “जनम जात मत पूछिए, का जात अरु पात। रैदास पूत सब प्रभु के,कोए नहिं जात कुजात।
बता दें कि 22 जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू होने वाली है और इसे लेकर उत्तर प्रदेश में तैयारियां जोरों से चल रही हैं। इसी बीच मुजफ्फरनगर पुलिस का बयान लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है। इसमें पुलिस ने सभी दुकानदार और रेहड़ी पटरी वालों से नेमप्लेट टांगने के लिए कहा है। इस मामले पर विपक्षी दल लगातार योगी सरकार पर हमलावर हैं। वहीं, अब इसको लेकर पूर्व मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने भी आलोचना की है।